पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/३१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८७
सत्याग्रह माला -१६

यही मेरी इच्छा है। मेढ चंचल वृत्तिका व्यक्ति है। इसलिए वह बिना विचारे काम कर बैठता है, वह लम्बे-चौड़े वादे कर डालता है; तुम ठहरे साहसी, बड़ी जल्दी बहुत रुपया कमानेका लोभ रखते हो । प्रागजीसे सार्वजनिक आन्दोलनोंमें पड़े बिना रहा ही नहीं जायेगा। ऐसी हालतमें तुम्हें मुसीबतमें पड़ते देर नहीं लगेगी। इसलिए मैं हमेशा यही चाहूँगा कि तुम किसीके रुपयेपर भरोसा मत रखो। इसके अलावा, मुझे तो किसी भी समय निर्वासित कर दें या जेलमें भेज दें। उस समय तुम व्यापारमें लगे नहीं रह सकते, इसका मुझे विश्वास हो गया है। इसलिए तुम पराये धनको [ व्यापारमें ] कैसे लगा सकते हो ? जिस देशमें अन्याय हो रहा हो, वहाँ गरीबीमें ही कुलीनता है; आजकी स्थितिमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपसे अन्याय में भाग लिये बिना धन-संग्रह करना असम्भव है ।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]

महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

२५८. सत्याग्रह माला - १६

मई ६, १९१९

रविवारकी हड़ताल : उसका धार्मिक स्वरूप

भाइयो और बहनो,

हड़ताल घोषित करना कोई खेलकी बात नहीं है। उसके समर्थनमें मजबूत कारण चाहिए। इस पत्रिकामें उन कारणोंका विचार करेंगे। बम्बईके नागरिक श्री हॉनिमैनके प्रति अपने गहरे प्रेमका बाह्य प्रमाण देनेके लिए अधीर हो उठे हैं। हड़ताल द्वारा वे कारगर रूपमें उक्त प्रमाण दे सकते हैं। सबकी भावनाओंकी उसमें परीक्षा हो जायेगी । फिर, हड़ताल राष्ट्रव्यापी शोक प्रदर्शित करनेके लिए भारतका पुराना साधन है। इसलिए हॉनिमैनके निर्वासनसे हुए दुःखको हम हड़तालके जरिये जाहिर कर सकते हैं। सरकारके कृत्यके प्रति सख्त नाराजगी प्रदर्शित करनेका भी हड़ताल ही सबसे उत्तम उपाय है । मत प्रकट करनेके लिए विराट सभाओंकी अपेक्षा हड़ताल कहीं अधिक जबरदस्त साधन है। इस हड़तालसे हम तीन उद्देश्य पूरे कर सकते हैं। प्रत्येक उद्देश्य इतना महान् है कि हमपर यह आरोप नहीं लगाया जा सकता कि हड़ताल घोषित करनेमें हमने अति की है।

मगर इतना साफ है कि यदि लोगोंकी नाराजगीका डर दिखाकर अथवा शारीरिक जोर-जबरदस्तीसे काम बन्द कराया गया तो उपर्युक्त हेतुओंमें से एक भी सिद्ध नहीं होगा। यदि हमने आतंक जमाकर काम बन्द कराया और यह श्री हॉनिमैनको मालूम हुआ, तो इससे वे नाखुश और दुःखी हुए बिना नहीं रहेंगे। साथ ही ऐसी बनावटी हड़ताल से सरकारपर हम कुछ भी असर न डाल सकेंगे । जबरन कराई गई हड़ताल सत्याग्रही हड़ताल कहला ही नहीं सकती। कोई भी वस्तु सत्याग्रहसे प्रेरित तभी कही जा सकती है, जब उसमें हेतुकी, साधनों और साध्यकी शुद्धता हो। इसलिए मैं आशा रखता हूँ कि