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२५९. पत्र : एफ० सी० ग्रिफिथको

बम्बई
मई ६, १९१९

प्रिय श्री ग्रिफिथ,

आशा है, आप रोज-ब-रोज जो पत्रक निकल रहे हैं उन्हें देख रहे होंगे; किन्तु मैं आपका ध्यान मुख्यतः कलके पत्रककी ओर आकर्षित करना चाहता हूँ, जिसमें रविवार को हड़ताल करनेकी घोषणा की गई है। मुझे आशा है, सब कुछ ठीक ही होगा।

हृदयसे आपका,

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६५९२) की फोटो-नकलसे ।

२६०. पत्र : निर्मलाको

मई ६, १९१९

चि० निर्मला,[१]

अभी तो सच्ची लड़ाई शुरू नहीं की है। परन्तु अब होगी जरूर । रविवारको सब उपवास रखनेवाले हैं। मैं चाहता हूँ कि तुम भी रखो। भाई हॉर्निमैनके निमित्त यह उपवास करना है। उनमें बहुत गुण थे और उन्होंने हिन्दुस्तानकी बड़ी भारी सेवा की है। मकानोंको सुधरवानेमें मेरी तरफसे तो अभी कोई मदद नहीं मिल सकती। यह काम चि० शामलदासका[२]और चि० काकूका है । घरपर मैंने कोई दावा नहीं रखा है। पूज्य बहन[३]और तुम दोनों आश्रममें रहो, और मेरे कार्यमें सहायता करो, तो इससे ज्यादा प्रिय मेरे लिए और क्या होगा ? पूज्य बनने तो स्वयं अनुभव कर लिया है कि आश्रममें सब उन्हें हाथों-हाथ लिये फिरते थे, सब आदर करते थे। और मैं स्वयं तो सदा सुबह उनके दर्शन करके अपनी माताजीका चेहरा याद कर लेता था, अपने पिताजीका चेहरा भी याद कर लेता था और अपनेको पवित्र हुआ मानता था । मेरी इच्छा है कि तुम दोनों जितनी हो सके उतनी जल्दी आश्रममें आ जाओ। तुम खुद बुननेका काम, सूत कातनेका काम अच्छी तरह सीख लो, यह मेरी तीव्र इच्छा है। इस कामको मैं धार्मिक और पवित्र मानता हूँ। अन्नदान और वस्त्रदान तो हमारे यहाँ श्रेष्ठ दान माना


१५-१९

  1. १. गांधीजीके भतीजे, गोकुलदासकी विधवा ।
  2. २. गांधीजीके बड़े भाई, लक्ष्मीदासके पुत्र ।
  3. ३. रलियात बेन ।