पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/३३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



२०६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


रूपमें प्रस्तुत करें। यह किये बिना यदि बादमें आप कोई बेचैनी दिखायेंगे तो उससे कुछ लाभ नहीं होगा। इससे आप यह समझ गये होंगे कि इस बारेमें प्रथम कर्त्तव्य हर हालत में मुसलमान भाइयोंका ही है ।

अब प्रश्न उठता है कि यदि आपकी माँगोंका कोई उचित उत्तर न दिया गया तो आप क्या करेंगे? इसका उत्तर मैं तो यही दे सकता हूँ कि इसका "सत्याग्रह" से कोई अच्छा उपाय हमारे पास नहीं है। यदि हम लड़ें तो उससे खून-खराबी होगी । और मुझे यह रास्ता जंगलीपनका लगता है। किसी अन्यको "में मारूंगा" यह सोचनेके बजाय हमें 'मैं मरूँगा' यह निश्चय कर लेना चाहिए। हम अपने हकके लिए मर जायेंगे; किन्तु हक लेनेके लिए किसीको मारेंगे नहीं । 'कुरान शरीफ' में भी यही लिखा है- ए इन्सान, अगर तू सब करेगा तो मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा । यह रहमका कानून है, प्रेमका कानून है और ऐसा करना इन्सानका फर्ज है। सत्याग्रह क्या है, यह आप इस बात से समझ सकते हैं। इसका आश्रय लेनेसे आपको किसी दूसरे उपायका आश्रय न लेना पड़ेगा। खून-खराबी करनेकी बात मुझे तो ठीक नहीं लगती। और इसके साथ- साथ यह भी सोचना चाहिए कि उसका नतीजा क्या होगा । इसीलिए यदि आप इन दोनों बातोंको समझते हों तो आप इस तरहसे उनको जल्दीसे पूरा करें कि उनमें कोई भी बाधा न आ सके ।

आप व्यावहारिक दृष्टिसे देखें तो आप आसानीसे देख सकेंगे कि हिंसासे कोई लाभ न होगा, उससे असीम हानि ही होगी जैसा हम वीरमगाँव और अहमदाबादमें देख चुके हैं | आप इतवारको इसका और सबूत देख सकेंगे। उस दिन मैंने एक सत्याग्रही हड़ताल करनेकी सलाह दी है और उसके साथ उपवास और प्रार्थनाका कार्यक्रम सुझाया है। मुझे आशा है, आप सब उस सम्मान, शोक और आपत्तिके महान् प्रदर्शनमें सम्मिलित होंगे। यह सम्मान उस अंग्रेजका है जिसने भारतकी सच्चे हृदयसे इतनी सच्ची सेवा की है, शोक उसको निर्वासित करने पर है और आपत्ति सरकारकी अनुचित कार्रवाईके विरुद्ध है । इन सबमें हम सब एक मत हैं और मुझे आशा है कि आप इस प्रदर्शनमें पूरा हिस्सा लेंगे । तभी यह सफल होगा । जब उसमें स्वेच्छासे पूरी शान्ति रखी जाये और यदि हमने ऐसा किया तो हमें न पुलिसकी जरूरत होगी और न सेनाकी । जब भारत सत्याग्रहको पूरी तरह स्वीकार कर लेगा तो हमें हवाई जहाजों का डर न रहेगा और हम कोलाबा एवं अन्य स्थानोंकी तरह मशीनगनोंके प्रयोगका मौका न देंगे । तब उनको मिट्टीमें दबा दिया जायेगा, उनके ऊपर घास उग आयेगी और उनपर हमारे बच्चे खलेंगे ।[१]


इसके बाद श्री गांधीने कहा- मैंने आपका बहुत समय लिया । मेरी यह इच्छा बहुत दिनसे थी कि मैं अपने मुसलमान भाइयोंके सामने अपने विचार खुलकर प्रकट कर सकूँ और इसका अवसर मुझे आज मिला है ।

इसके बाद मौलवी अब्दुर्रफने [ यह ] प्रस्ताव प्रस्तुत किया और उसे पास करने के बाद सभा विसर्जित हुई ।

 
  1. १. यह पूरा अनुच्छेद यंग इंडिया से लिया गया है ।