पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/३४०

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२७५. तार : जे० ए० गाइडरको

बम्बई[१] मई ११, १९१९

आश्रमवासियोने मुझसे इस सवालपर सलाह माँगी है आग लगाने से रोकनेका लोगोंको वे शिनाख्त करें या नहीं। दबाव न डालेंगे | वे गवाही नहीं दे सकते ।[२]। हमारा काम और शासक प्रजा वर कोवृद्धि करना और जहाँ रोकना है। हम जिन विरुद्ध गवाही दें तो सलाह है कि जिन प्रयत्न कर रहे थे, उनकी आशा है आप शिनाख्त करनेके लिए उनपर आश्रमके सिद्धान्तोंके अनुसार लोगोंके विरुद्ध हमारा काम शासकों और प्रजावर्गमें सौहार्दकी कहीं भी हिंसा होती नजर आये वहाँ उसे कैदियोंको अपराध करनेसे रोक रहे थे उनके यह हमें प्राप्त असाधारण अधिकारका दुरुपयोग कहलायेगा । मैं आपसे करता हूँ कि आप इस मामलेमें जोर देकर जनताका ध्यान हमारे सिद्धान्तकी ओर न खीचें, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हमारे उदाहरणका अनुकरण ऐसे लोग करें जो हमारी समूची जीवन-योजनापर तो नहीं चल अपराधियोंको छिपानेके लिए एक बहानेकी

[ अंग्रेजीसे ]

नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया : होम : पॉलिटिकल २६१-२७२ और के० डब्ल्यू ० ।- ए अगस्त, १९१९ : सं०

२७६. तार : सत्याग्रह आश्रम साबरमतीको

बम्बई
मई ११, १९१९

यदि अन्तःकरणकी आवाज बाधक न हो तो जो व्यक्ति चाहे शिनाख्त कर सकता है। मेरी अपनी राय यह है कि जो आश्रमके सिद्धान्तों- पर चलते हैं वे जिन्हें वे, अपराध करनेसे रोकना चाहते हैं, उन्हें दोषी ठहराते हुए गवाही न दें । श्री गाइडरको पूरा तार भेजकर

  1. साधन-सूत्र में यहाँ १२ तारीख है; किन्तु अगला शीर्षक देखें
  2. देखिए परिशिष्ट५।