पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/३४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



३१६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


पाँच साल तक चल सकने योग्य कपड़ा अभीसे रख सकें। जब स्वदेशीको काममें लेनेवाले बहुत-से मनुष्य हो जायेंगे, तब व्यापारी हर जगह स्वदेशी कपड़ा बेचेंगे और दिन - दिन अधिक कपड़ा बुना जाने लगेगा । स्वदेशी व्रत लेनेवालोंको यह विश्वास रखना चाहिए कि उनकी जरूरतें पूरी होने लायक कपड़ा चाहनेपर मिल सकेगा । इतना ही नहीं, असलमें देखा जाये, तो हर एक मनुष्यका यह निश्चय होना चाहिए कि वह अपना कपड़ा अपने ही घरमें बुन लेगा - और जो ऐसा न कर सकें, वे जुलाहोंसे अपना कपड़ा तैयार करा लेंगे। इसमें कुछ भी धोखेकी गुंजाइश नहीं रहेगी और सब अपने-अपने लिए टिकाऊ और शुद्ध कपड़े तैयार करा लेंगे । यह हमारी पुरानी प्रथा है ।

स्वदेशीका आधार बहनोंपर है । मुझे आशा है कि हजारों बहनें अपने पासके विदेशी कपड़ोंका त्याग करके स्वदेशीका व्रत लेंगी । हमने अबतक जो भूलें की हैं उसके प्रायश्चित्त-स्वरूप कुछ-न-कुछ असुविधाएँ भुगतनी ही चाहिए। जो विदेशी कपड़े हों, उनका दूसरा उपयोग किया जा सकता है। उन्हें विदेशोंमें बिकनेको भी भेजा जा सकता है । देशको बहनोंसे यह भी उम्मीद रखनेका अधिकार है कि वे अपने बच्चोंको स्वदेशी कपड़े पहनाने लगेंगी।

मो० क० गांधी

शुद्ध स्वदेशी व्रत

मैं गम्भीरतापूर्वक घोषित करता हूँ, अबसे हिन्दुस्तानमें में भारतमें कते हुए भारतीय रुई, रेशम या ऊनके भारतमें ही बने हुए कपड़े के अलावा अन्य कोई कपड़ा नहीं पहनूंगा ।

मैं इस व्रतका आजीवन / वर्षों तक पालन करूँगा ।

मिश्र स्वदेशी व्रत

मैं दृढ़तापूर्वक घोषित करता हूँ कि अबसे मैं हिन्दुस्तानमें केवल वही वस्त्र पहनूंगा जो भारतीय या विदेशी सूत, रेशम या उनसे भारतमें ही बुना गया हो ।

मैं इस व्रतका आजीवन / वर्षों तक पालन करूँगा ।

स्वदेशीका सच्चा आदर्श केवल उसे हाथके बुने कपड़ेका इस्तेमाल करना है जो हाथसे कते सूतका हो; लेकिन आज बड़ी संख्या में लोगोंको ऐसा कपड़ा उपलब्ध कराना सम्भव नहीं है । किन्तु ऐसी आशा की जाती है कि स्वदेशी और सच्ची कलाके प्रेमी थोड़ी असुविधा उठाकर भी न केवल स्वयं हाथ-कता और हाथ-बुना कपड़ा पहनेंगे बल्कि जितने ज्यादा चरखे और हाथ करघे चलवाना सम्भव होगा, चलवायेंगे ।

१. यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इस आन्दोलनका रौलट कानूनको रद करवानेके उद्देश्यसे चलनेवाले आन्दोलनसे कोई सम्बन्ध नहीं है। उस कानूनके रद होनेसे या अन्य सुविधाएँ और सुधार प्रदान किये जानेसे स्वदेशी व्रतपर या स्वदेशी के प्रसार आन्दोलनमें कोई अन्तर नहीं पड़ेगा ।