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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपने देखा होगा कि सूरत अथवा अन्य जगहोंमें कोई हड़ताल नहीं हुई थी । डॉक्टर होराको मैंने सत्याग्रही समझ लिया था। मैं नहीं जानता था कि वे सत्याग्रही नहीं हैं ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गां०

[ अंग्रेजी ]

मूल पत्र (एस० एन० ६६११ ) की फोटो - नकलसे ।

२८२. पत्र : डॉक्टर एस० सुब्रह्मण्यम् अय्यरको

लैबर्नम
रोड बम्बई
मई १४, १९१९

प्रिय डॉक्टर सुब्रह्मण्यम्,

श्रीमती बेसेंटने जो पत्र आपकी ओरसे मुझे लिखा है और मैंने उसका जो उत्तर[१] दिया है, उनकी नकलें इस पत्रके साथ भेज रहा हूँ । पत्रमें उन्होंने जो बातें कही हैं उनपर विश्वास करना मुझे कठिन मालूम हुआ है। विशेष अनुनय किये जाने के बारेमें मुझे कुछ मालूम नहीं है । न मुझे यह विश्वास है कि आप किसी महान् ऋषिके आदेशपर भी कभी सच्चे रास्तेसे विचलित हो सकते हैं। क्या कोई शपथ किसी व्यक्तिको सत्यका अनुसरण करनेसे रोक सकती है ? खैर, आप बतायेंगे कि जिन वक्तव्योंको मेरा कहा जा रहा है वे सही हैं या नहीं। मेरे लेखे तो सत्याग्रहकी आज जैसी दीप्ति कभी नहीं रही। उसने पहले सरकारी दमनकी आँधीके थपेड़े झेले हैं और अब उसे उन लोगोंके विरोधकी आँधीका सामना करना पड़ रहा है जो अपनी हिंसावृत्तिको छिपानेके निमित्त सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ना चाहते हैं । यह सत्याग्रहकी ही बदौलत था कि दंगे एक छोटेसे दायरेमें सीमित रह गये और लोगोंके दिलोंमें श्री हॉर्निमैनके देश निकालेसे उत्पन्न होनेवाले तीव्रतम सार्वजनिक सन्तापके रहते हुए भी बम्बई आश्चर्यजनक आत्मनियन्त्रणसे काम ले सकी । आशा है आप सकुशल होंगे ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गां०

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६६०५ ) की फोटो - नकलसे ।

  1. १. देखिए "पत्र : एनी बेसेंटको", १०-५-१९१९