पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/३४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



२८३. सत्याग्रहपर टिप्पणी

[ मई १५, १९१९][१]

जिस प्रकार आपके साथ शान्तिपूर्वक रहनेकी मेरी उत्कट इच्छा है ठीक उसी प्रकार अंग्रजोंके साथ भी; या यों कह लीजिए कि समस्त संसारके साथ । परन्तु मैं सम्मानके साथ शान्ति चाहता हूँ-और स्पष्टतया ऐसी शान्ति, सुगमतासे केवल सत्याग्रह के द्वारा ही मिल सकती है ।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६६१२) की फोटो - नकलसे ।

२८४. तार : वाइसराय के निजी सचिवको

बम्बई
मई १५, १९१९

निजी सचिव वाइसराय शिमला

१२ मईके 'हिन्दू' से पता चलता है कि लाहौर के श्री गोवर्धनदास मद्रासमें उक्त तिथिको गिरफ्तार कर लिये गये। उनकी गिरफ्तारी लाहौरके फौजी अधिकारी [ मिलिट्री कमान्डेंट ] के कहा जाता है कि उनके वकीलको [ गिरफ्तारीका ] आदेशानुसार हुई थी । अपराध सूचित कर दी गई । गोवर्धनदासकी हुक्मनामा देखनेकी अनुमति नहीं दी गई। हमारी जानकारीके मुताबिक गोवर्धनदासको भी अपनी गिरफ्तारीके कारण नहीं मालूम। उनके वकीलने पुलिस कमिश्नरके नाम इस आशयकी अर्जी दी थी कि गोवर्धनदासको किये बिना जेल न भेजा जाये; किन्तु वह अस्वीकृत जमानत भी मंजूर नहीं की गई । अनुमान है कि गिरफ्तारी पंजाबसे सम्बन्धित उनके बम्बई तथा दूसरी गये वक्तव्योंके कारण हुई है । आज सुबह यह तथा रायको 'ट्रिब्यून' के इससे लोगोंको गोवर्धनदासके प्रति आशा नहीं बची

हुआ है कि श्री नॉर्टन करनेकी इजाजत नहीं दी गई ।

  1. १. ये पंक्तियाँ वाइसरायके निजी सचिवको प्रेषित ता० १५-५-१९१९ का तार (एस० एन० ६६१३) जहाँ प्राप्त हुआ है उसके पिछले पन्नेपर मिली हैं।