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पत्र : कर्नल ट्यूकको

ब्रिटिश नेशनैलिटी ऐंड एलियन्स ऐक्ट खण्ड १ का प्रवर्ती भाग जिसका उल्लेख ऊपर कहे हुए संशोधनमें किया जा चुका है - इस प्रकार है :

(१)नीचे लिखे व्यक्ति देशजात ब्रिटिश प्रजा कहलायेंगे :

(क) कोई भी व्यक्ति जिसका जन्म सम्राट्के राज्यों अथवा अधिकार क्षेत्रों में से किसीमें हुआ हो ।
(ख) किसी भी ब्रिटिश प्रजाजनकी सन्तान - फिर वह सन्तान चाहे उस अधिनियम के पास होनेके पहले पैदा हुई हो या बादमें -यदि उसका जन्म ऐसे स्थानपर हुआ है जहाँ सुलहनामे, समध्यर्पण अनुदान, प्रथा, स्वीकृति अथवा अन्य किसी वैध रूपमें ब्रिटिश प्रजाजनोंपर सम्राट् अधिकारारूढ़ है, सम्राट्के मातहत देशमें पैदा हुई मानी जायेगी।

यह बात बिल्कुल साफ है कि इन दोनों देशी रियासतोंके प्रजाजनोंको विदेशी मानना अनुचित था, उनकी पैदाइश ब्रिटिश डोमीनियनोंमें अथवा सम्राट्के मातहत अन्य देशोंमें हुई है इसके आधारपर वे देशजात ब्रिटिश प्रजाजन हैं। इसलिए में यह कहनेकी धृष्टता करता हूँ कि इन और यदि इन्हीं जैसे अन्य निर्वासित हों तो उन्हें अपने रहने और कारबार चलानेकी जगह, सिन्धमें लौट सकनेका अधिकार है । इसलिए मुझे विश्वास है कि परमश्रेष्ठ उपरोक्त आदेशोंको रद कर देनेकी कृपा करेंगे।

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६६२४) की फोटो - नकलसे ।


२९५. पत्र : कर्नल ट्यूकको

आश्रम
मई २५, १९१९

प्रिय कर्नल ट्यूक,

आपका इसी २४ ता० का पत्र मिला, धन्यवाद । अभी हालके उपद्रवोंको दबाने के लिए की गयी फौजी कार्रवाइयोंके अवसरपर जो लोग घायल हुए थे उनके सम्बन्धमें आप यदि सम्भव हो तो यह सूचित करें कि अनुमानतः कितना रुपया खर्च होगा। मुझे यह भय तो नहीं है कि रकमको जुटाने में कठिनाई होगी परन्तु जरूरत कितनेकी है। यह जान लेना अच्छा होगा । कृपा करके उत्तर श्री वल्लभभाई पटेल, भद्रा (बम्बई) के पतेसे भेजियेगा । वे इस मामलेमें उचित कार्रवाई करेंगे। मैं आज रातको बम्बई जा रहा हूँ ।

हृदयसे आपका,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६६२५) की फोटो - नकलसे ।