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भाषण: सूरतकी सार्वजनिक सभामें

यह हम नहीं चाहते। जिसमें वे अपनी कलाका प्रदर्शन करते हैं, जिसमें अपनी आत्माको उँडेल देते हैं, उन साड़ियोंको पहननेमें धर्म निहित है । आप शुभ दिन ढूँढ़कर इस प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर कीजिए। हमारे शास्त्रोंका तो यह कहना है कि शुभ दिन, शुभ घड़ी और शुभ क्षण वही है जब हमें अच्छा काम करनेकी बात सूझे । इसके लिए ज्योतिषीके पास जानेकी जरूरत नहीं है । बुरा काम करने के लिए ज्योतिषीके पास जायें, तब ऐसा ज्योतिषी ढूँढ़ेगे जो उसके लिए कोई भी घड़ी नियत न करे । हिन्दुस्तानकी स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं अथवा दूसरे लोग भाषण करें और आप सुनती रहें। हमें तो इस समय काम करना है । आपमें से जब कुछ बहनें सूत कातने और वस्त्र बुनने लगेंगी तो मैं अपनेको कृतार्थ मानूँगा ।

[ गुजरातीसे ]
गुजरात मित्र अने गुजरात दर्पण, १-६-१९१९

२९८. भाषण : सूरतकी सार्वजनिक सभामें

मई २६, १९१९

मुझे अत्यन्त खेद है कि मुझे बैठे-बैठे बोलना पड़ रहा है । मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ। मेरी तबीयत ठीक नहीं है । सारे हिन्दुस्तानसे मेरे पास समाचार ओ रहे हैं और मुझसे कहा जा रहा है कि देशमें सत्याग्रह बन्द हो गया है । यह बात केवल इसलिए कही जा रही है कि लोग सत्याग्रह क्या है, यह बात समझे नहीं हैं । में देख पा रहा हूँ कि जब हिन्दुस्तानमें सत्याग्रही भी पूरी तरहसे इसे नहीं समझ पाये हैं, तब फिर ज्यादातर जनता जिसने सत्याग्रहका अभ्यास नहीं किया, सत्याग्रहकी प्रतिज्ञा नहीं ली, इसे कैसे समझ सकती है । जनता इसे समझ सकेगी या नहीं, यह बात मुझे पहले ही देख लेनी चाहिए थी। मैंने नहीं देखी और उस हदतक भूल की यह बात मैं स्वीकार कर ही चुका हूँ। लेकिन इस भूलके कारण कोई यह अर्थ न लगाये कि सत्याग्रह एक क्षणके लिए भी बन्द हो सकता है । जिन्होंने सत्याग्रहकी प्रतिज्ञा ली है और जो उसके अर्थको ठीक-ठीक समझ सके हैं, वे अनुभव करेंगे कि सत्याग्रह पल-भरके लिए भी बन्द नहीं हुआ । मैं अपनी इस बातका अर्थ समझानेका प्रयत्न करूँगा । सत्याग्रहकी प्रतिज्ञामें ही यह कहा गया है कि जबतक रौलट विधेयक रद नहीं हो जाते तबतक समिति जो निश्चित करे उसके आधारपर उन विधेयकोंकी सविनय अवज्ञा की जाये। लेकिन यह तो हमारी प्रतिज्ञाका एक ही भाग है और वह भी एक छोटा भाग । इसके अलावा, इससे पहले कि सत्याग्रही इन विधेयकोंकी सविनय अवज्ञा कर सके, उसमें कुछ गुण होने जरूरी हैं ।

हमें सबसे पहले इस बातपर विचार करना चाहिए कि सत्याग्रहमें सबसे महत्त्वपूर्ण चीज क्या है । और जबतक हम उस महत्त्वपूर्ण बातपर विचार नहीं करते, उसपर अमल नहीं करते तबतक विधेयकोंकी अवज्ञा करना निरर्थक है । इन विधेयकोंको हमेशाके