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बाल गंगाधर तिरकका अभिनन्दन

आशा है तुम चुनाव करनेमें उन्तका मार्गदर्शन कर सकोगे। जबतक नौकरशाही झुकती नहीं है तबतक किसी भी सुधारका कोई मूल्य नहीं है।

सोचता हूँ, अगर श्री हॉनिर्मेन तुमसे न मिल पाये हों तो तुमने उनका पता लगाकर अवश्य ही उनसे भेंट कर ली होगी। यहाँ जो-कुछ हो रहा है इस सबसे उन्हें अवगत कराते रहना। महादेव उन्हें तथा श्री शास्त्रियरको प्रति सप्ताह पत्र भेजा करता है। वह अस्वस्थ है और में इतना अधिक थक गया हूँ कि इस समय और पत्र लिखनेकी सामर्थ्यें नहीं है। सस्नेह,

तुम्हारा,
भाई

हस्तलिखित अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६६२७) की फोटो-नकलूसे |

३०७. बार गंगाधर तिरकका अभिनन्दन

बम्बई
मई ३१,१९१९

श्री गांधीकी अध्यक्षतामों शनिवारकों शामके समय शान्तारामकी चाल, गिरणाँव,बस्बईम एक सार्वजनिक सभा हुई। सभाका उद्देश्य था श्री तिलक हारा की गई भारतकी सेवाओंके लिए आभार प्रकट करना और सर वेलेंटाइन शिरोलके खिलाफ दायर किये गये मुकदसेमें श्री तिलकको जो रुपया खर्चे करना पड़ा उसके लिए देदवासियोंसे चन्देकी अपील करना। श्री गांधोीने गुजरातीर्म अपना भाषण दिया था जिसका भाषान्तर[१]निम्नलिखित है:

सभाकी अध्यक्षताके आमन्त्रणके लिए में आयोजकोंको धन्यवाद देता हूँ। प्रत्येक विचारवान्‌ भारतीयका छक्ष्य तो एक ही होना चाहिए; अलबत्ता उसे पानेंके लिए अलग-अलग तरीकोंका सहारा लिया जा सकता है। यह सभी जानते हैं कि मेरे तरीकोंका श्री तिरकके तरीकोंसे मेल नहीं है। फिर भी देशके प्रति उनकी महान्‌ सेवाओं, उनके आत्मत्याग तथा विद्धत्ताकी प्रशंसाके अवसर प्राप्त होनेंपर में हर्षपूर्वक उसमें भाग लेना चाहूँगा; आजकी सभामें भाग छेते हुए मुझे विशेष रूपसे प्रसन्नता हो रही है। सर वैलेंटाइन शिरोलके खिलाफ मुकदमेमें उतकी हारसे उनके प्रति देशके आदरभाव- में रत्ती-भर कमी नहीं हुई है बल्कि इससे उस आदरमे वृद्धि ही हुई है और आजकी यह सभा उसी आदरभावका प्रतीक है| में यहाँ उनके अभिननन्‍दनमें अपना हार्दिक योग देने आया हूँ।

सच कहा जाये तो में अदालतोंमें मुकदमे ले जानेके पक्षमें नहीं हूँ। वहाँकी

जीत आपके मामछेकी सचाईपर निर्भर नहीं करती | कोई भी अनुभवी वकीछ मेरी इस

 
  1. मूल गुजराती भाषण उपलब्ध नहीं है।