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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बातका समर्थन करेगा कि मुकदमेमें जीतना ज्यादातर न्यायाधीश, वकील और अदालत तथा [ घटनास्थल के स्थानपर निर्भर करता है । अंग्रेजीमें एक कहावत है कि अदालतों में वही जीतता है जिसके पास सबसे लम्बी थैली होती है । इस कहावतमें यदि अतिरंजना है तो बहुत-कुछ सचाई भी है। इसलिए लोकमान्यके मुकदमा हार जानेपर मेरे मनमें यही आया कि वे मेरी तरह सत्याग्रही होते तो कितना अच्छा होता, ताकि वे मुकदमे में जीत-हारकी झंझटसे बच जाते । किन्तु जब मैंने यह भी देखा कि हारके कारण उन्होंने अपना साहस नहीं खोया और निराश होनेकी जगह उन्होंने शान्तभावसे तटस्थ वृत्ति रखते हुए अंग्रेज जनताके सामने अपने विचारोंको निडरतासे व्यक्त किया तब मुझे उनपर गर्व हुआ । उन्हें 'गीता' का जो आदेश मुख्य प्रतीत हुआ, उसीपर वे अपने पूरे जीवन में निष्ठाके साथ आचरण करते रहे हैं। वे जिस कार्यको अपना कर्म समझते हैं उसके करनेमें पूरी तौरसे जुट जाते हैं और उसका फल ईश्वरपर छोड़ देते हैं। ऐसे महान् व्यक्तिके लिए किसके हृदयमें आदर नहीं पैदा होगा ?

मैं मानता हूँ कि उनके उस मुकदमे में खर्च हुई रकमकी पूर्तिके लिए चन्दा देना हमारा कर्त्तव्य है । निश्चय ही वे अपने निजी स्वार्थके लिए मुकदमा नहीं लड़े थे, बल्कि सार्वजनिक हितके लिए लड़े थे । इसलिए मुझे यकीन है कि श्री तिलकके मुकदमेके खर्चकी रकम चन्दे द्वारा खड़ी करने तथा उनकी देशसेवाओंके लिए आभार प्रकट करनेके बारेमें जो प्रस्ताव[१]आज शामको आपके सामने पेश होने जा रहा है, उसे आप स्वीकृत करेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ७-६-१९१९

३०६. पत्र : रामदास गांधीको

आश्रम
जून १, १९१९

चि० रामदास,

तुम्हारा पत्र मिला है । तुम्हें पत्र तो मैं लिखवाता ही रहता हूँ । बिना पत्र पूरा एक महीना बीत जाये, ऐसा शायद ही होता हो। तुम भाई मोहनलालके यहाँ रहे, यह तुमने ठीक किया । यह तो मैं जानता ही हूँ कि उनकी जिस उदारता, जिस भलमनसाहत और जिस प्रेमका तुमने चित्रण किया है, उसका तुम्हारे हाथों दुरुपयोग

 
  1. श्रीमती सरोजिनी नायडूने निम्नलिखित प्रस्ताव अंग्रेजीमें पढ़कर सुनाया : “ यह सभा लोकमान्य तिलक द्वारा अपने जीवनके गत ४० वर्षोंमें मातृभूमिके लिए की गई निष्ठायुक्त और निःस्वार्थ सेवाके प्रति अपनी सराहना व्यक्त करती है और देशवासियोंसे निवेदन करती है कि जो मुकदमा केवल सार्वजनिक हितको सामने रखते हुए लोकमान्य तिलकने चलाया था उसका खर्चा पूरा करनेके लिए खोले गये कोष, 'तिलक पर्स फंड' में वे मुक्त हस्तसे चन्दा देनेकी कृपा करें ।"