पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/३८३

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३१२. पत्र : एन० पी० कॉवीको

बम्बई
जून ५, [१९१९]

प्रिय श्री कॉवी,

सिन्धके अधिकारियों द्वारा काठियावाड़के राज्योंके कुछ लोगोंके विरुद्ध पास किये गये हुक्मोंके बारेमें मैं आपको अपने....[१]' पत्रकी याद दिलाना चाहता हूँ, बड़ी कृपा हो, यदि उत्तर जल्द दें ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ६६३६) की फोटो नकलसे ।

३१३. पत्र : बी० जी० हॉनिमैनको

[ बम्बई]
जून ६, १९१९

प्रिय श्री हॉर्निमैन,

आप वहाँ अच्छी तरह पहुँच गये यह जानकर चिन्ता मिटी । श्री मॉण्टेग्यूने आपके बारेमें जो कुछ कहा है, उसे पढ़कर मुझे बहुत बुरा लगा। मैं तो कहूँगा, आपने जो किया वह ठीक ही था। इस बारेमें 'यंग इंडिया' में मैंने जो लिखा है,[२]उसे आप देख लें।</ref>

यहाँका सारा हाल तो श्रीमती नायडू आपको बतायेंगी । जबतक रौलट कानून रद न हो जाये तबतक हिन्दुस्तानमें शान्ति नहीं हो सकती । मुसलमानोंकी भावनाको अवश्य ही सन्तुष्ट किया जाना चाहिए और पंजाबकी सजाओंमें परिवर्तन होना ही चाहिए । 'यंग इंडिया' में कुछ लिखेंगे ?

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई
  1. देखिए “ पत्र : एन० पी० कॉवीको ", २५-५-१९१९ । २. देखिए " श्री हॉर्निमैन ", ७-६-१९१९
  2. २. देखिए " श्री हॉर्निमैन ", ७-६-१९१९ ।
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