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पत्र : मगनलाल गांधीको

विट्ठलदासके साथ बातचीत कर लूँ, उसके बाद ही भेजो, तो ठीक होगा। मैंने यहाँ सुना है कि पुराने स्वदेशी-स्टोरमें अब हमारी खादीको कोई छूता भी नहीं है। ऐसा हो, तो हमें विचार करना पड़ेगा। तुम चाहे किसी भी मनुष्यकी सेवाओंका उपयोग कर लेना; परन्तु मैं उम्मीद रखता हूँ कि छोटालाल और जगन्नाथकी सेवाओंका तुम जरा भी उपयोग नहीं करोगे । स्वदेशी-स्टोरवालोंकी तरफसे [ दिये गये मालकी एवज में रकम न मिले, तो मुझे लिखना, जिससे मैं कुछ बन्दोबस्त करूँगा ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ६६३८ ) की फोटो - नकलसे ।

३२१. पत्र : मगनलाल गांधीको

बम्बई
शनिवार [ जून ७, १९१९][१]

चि० मगनलाल,

तुम्हें कल पत्र नहीं लिख सका। आज बाका पत्र आया है जिसमें वह कहती है कि केशु फिर बीमार पड़ गया है और रुखीको भी चोट आई है। इस बीमारीका [ कुछ-न-कुछ ] कारण तो होना ही चाहिए। उसकी खोज तुम ही कर सकते हो । बच्चे समय-समयपर बीमार पड़ें तो कैसे आगे बढ़ सकते हैं? वहाँके पानीमें कुछ खराबी होना सम्भव है । यह देखा जा सकता है कि पानी आदिके ये दोष जो केवल शारीरिक काम करनेवालेको नुकसान नहीं करते, मानसिक कार्य करनेवालोंको नुकसान करते हैं । अस्वच्छ जल, अनुचित अथवा अतिशय आहारके अलावा बीमारीका अन्य कोई कारण होनेकी सम्भावना कम ही है ।

चि० सामलदासने वहाँ आनेका निश्चय किया है । शान्ति भी आयेगी । उद्देश्य यह है कि सामलदासको कपड़े काममें कुशल बन जाना चाहिए। वह करघेके सम्बन्धमें आवश्यक ज्ञान प्राप्त करेगा । वह अपनी माँको थोड़े दिनोंमें जाकर ले आयेगा । मियाँ खाँके बँगलेमें यदि तुम उसके लिए भाड़ेपर कुछ कमरोंका प्रबन्ध करा सको तो करा देना । अथवा इस मुहल्लेमें कोई दूसरी जगह मिल जाये तो सामलदासको आराम रहेगा । शान्ति भी आयेगी। सबकी ठीक व्यवस्था हो जाये तो मुझे बहुत प्रसन्नता हो । सामलदास काम कर सकेगा ऐसा लगता तो है ।

एक चन्द्रशंकर नामके सज्जन हैं, वे भी वहाँ हमारा बुनाई घर देखने आयेंगे । उन्होंने ही पैसा देकर अबतक यहाँ रुई कतवाई है। मुझे लगता है यहाँका काम तेजीसे हुआ है, लेकिन सन्तोषजनक नहीं हुआ है । जिस व्यक्तिने उसे हाथमें लिया है,

 
  1. स्पष्ट ही यह पत्र, मगनलालको लिखे १२ और १५ जूनके पत्रोंसे पहले लिखा गया होगा । उन दोनों पत्रोंमें गांधीजीने सामलदासकी आश्रममें काम करनेकी योजनाको चर्चा की है ।