पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४०

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१०. पत्र : जी० ए० नटेसनको

प्रिय श्री नटेसन,[१]

अगस्त९, १९१८

देवदासकी बीमारीके दौरान उसकी देखभाल करनेके लिए मेरा धन्यवाद स्वीकार कीजिये । देवदासका इतना अधिक ध्यान रखनेके लिए कृपया डॉ० कृष्णस्वामीको भी मेरी ओरसे धन्यवाद दें ।

आप जब भी महसूस करें, मेरे लेखों और मेरे कार्यकी आलोचना करनेमें आगा-पीछा न करें ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० २२३१) की फोटो नकलसे ।


११. पत्र : जी० के० देवधरको[२]

अगस्त ९, १९१८

कुमारी विंटरबॉटम[३]बड़ी सुसंस्कृत वृद्ध महिला हैं । वे अनेक नैतिक आन्दोलनों में प्रमुख भाग लेती रहती हैं । किन्तु पोलक[४] पथप्रदर्शक, मित्र और सलाहकार रहेंगे। राजनैतिक आन्दोलनोंके सिलसिलेमें जिन अंग्रेजोंको मैं जानता हूँ, उन सबके पास वे आपको ले जायेंगे। यदि वे भूल जायें तो आप उन्हें 'बर्नार्डोज़'[५] नामकी विविध उद्योग सिखानेवाली पाठशाला और ऐसी ही दूसरी संस्थाएँ दिखानेकी याद अवश्य दिला दीजिये । सम्भव है बारीकीसे देखनेपर इनमें से कुछ आपको पसन्द न आयें क्योंकि आप तो उन्हें समीक्षात्मक दृष्टिसे देखेंगे। सभी चमकनेवाली चीजें सोनेकी नहीं होतीं । कामना करता हूँ आपकी यात्रा सुखमय हो और आप सकुशल लौट आयें ।

  1. सम्पादक, इंडियन रिव्यू, मद्रास ।
  2. भारत सेवक समाज, पूनाके सदस्य; वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको मृत्युके बाद उसके अध्यक्ष ।
  3. फ्लारेंस विंटरबॉटम, लन्दनके नैतिकता समिति संघ [ यूनियन ऑफ एथिकल सोसाइटीज़ ] की मन्त्री।
  4. एच० एस० एल० पोलक; गांधीजीके मित्र और सहयोगी; इंडियन ओपिनियन के सम्पादक; देखिए खण्ड ८, पृ० ४७।
  5. टामस जॉन बर्नार्डो (१८४५-१९०५) द्वारा संस्थापित निराश्रित बालकोंका प्रतिष्ठान, जिसका प्रधान कार्यालय लन्दनमें था।