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३२८. ज्ञापन : लॉर्ड चेम्सफोर्डको[१]

बम्बई
[ जून ११, १९१९][२]

सेवामें

परमश्रेष्ठ परममाननीय लॉर्ड चेम्सफोर्ड
पी० सी०, जी० एम० एस० आई०, जी० सी० एम० जी० जी० एम० आई० ई०,
जी० सी० बी० ई०
सपरिषद् वाइसराय और गवर्नर जनरल

शिमला

परमश्रेष्ठसे सादर निवेदन है कि,

१. हम, नीचे हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्ति, बम्बई अहातेके पत्रकारोंके प्रतिनिधि- योंके रूपमें निवेदन करते हैं कि हमने पंजाब मार्शल लॉ अदालतका फैसला ध्यानपूर्वक पढ़ लिया है और 'ट्रिब्यून के जिन लेखोंके आधारपर यह फैसला दिया गया है, वे लेख भी देख लिये हैं ।
२. हमारी नम्र सम्मति में इन समस्त लेखोंका बखूबी ऐसा अर्थ किया जा सकता है जिससे सिद्ध हो जाये कि इसमें कोई अपराध नहीं है, और परमश्रेष्ठसे हमारा सादर निवेदन है कि श्री रायके सम्पादन - कालमें 'ट्रिब्यून' में बराबर जैसे संयत लेख आते रहे हैं, उसे ध्यानमें रखते हुए यह सर्वथा उचित और न्यायसंगत है कि इनका सहज और उदारतापूर्ण अर्थ लगाया जाय ।
३. हमें मालूम हुआ है कि बाबू कालीनाथ रायकी तन्दुरुस्ती बहुत खराब है और हमें भय है कि उनको लगातार जेलमें रखने से उनकी शारीरिक अवस्था सदाके लिए बिगड़ सकती है।
४. इन परिस्थितियों और इस बातको ध्यान में रखते हुए कि उन्होंने जहाँतक इन लेखोंका सम्बन्ध है, क्षमा-याचनाकी आवश्यकता न होनेपर भी क्षमा- याचना कर ली थी, हम सादर प्रार्थना करते हैं कि न्यायकी दृष्टिसे बाबू कालीनाथ राय जेलसे छोड़ दिये जायें।

नकलें श्री सुब्रह्मण्यम् अय्यर, रंगास्वामी आयंगार, जॉर्ज अरुण्डेल और चक्रवर्ती राजगोपालाचारीको भी भेजी गईं।[३]

अंग्रेजी (एस० एन० ६६४२) की फोटो- नकलसे ।

 
  1. इस ज्ञापनका मसविदा अनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था ।
  2. देखिए अगला शीर्षक ।
  3. ये शब्द गांधीजीके स्वाक्षरोंमें हैं ।