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३२९. कालीनाथ रायके मामलेके सम्बन्ध में परिपत्र

जून ११, १९१९

प्रिय महोदय,

मैं इसके साथ ‘यंग इंडिया का वह अंश भेज रहा हूँ, जिसमें बाबू कालीनाथ रायके मामलेके फैसलेका पूरा पाठ, जिनके आधारपर यह फैसला दिया गया है वे सारे लेख और फैसलेके सम्बन्धमें मेरी टिप्पणियाँ ये सब चीजें आ गई हैं। मेरी रायमें बाबू कालीनाथ रायको विशुद्ध न्यायके आधारपर रिहा करनेके लिए देश-भरमें तत्काल ही व्यापक आन्दोलन किया जाना चाहिए। इस सम्बन्धमें में यह सुझाव देना चाहूँगा कि बाबू कालीनाथ रायकी रिहाईका अनुरोध करते हुए परमश्रेष्ठकी सेवामें (१) स्थानीय वकीलोंकी ओरसे एक ज्ञापन; (२) स्थानीय सम्पादकोंकी ओरसे एक दूसरा ज्ञापन, और (३) सार्वजनिक सभाओं में स्वीकृत प्रस्ताव भिजवाये जायें। वकीलोंके ज्ञापनमें यह दिखाया जाये कि यह सजा एक कानूनी अन्याय है । सम्पादकोंके ज्ञापनमें यह बताया जाये कि जो कुछ श्री रायने लिखा है, वे भी उससे कुछ कम न लिखते और सार्वजनिक सभाओं में ऐसे प्रस्ताव पास किये जायें जिनमें न्यायके आधारपर बाबू कालीनाथ रायकी रिहाईकी प्रार्थना की गई हो । यदि आप मेरे सुझावसे सहमत हों तो मैं यह निवेदन करना चाहूँगा कि आप व्यापारियोंसे भी ऐसे ही ज्ञापन और सभाओं में स्वीकृत प्रस्ताव भेजने को कहें। हमें अंग्रेजोंको भी, अगर वे राजी हों तो, इस स्पष्ट अन्यायको दूर करवाने में हमारा साथ देनेको आमन्त्रित करना चाहिए।

इस मामलेमें समयका बड़ा महत्त्व है। जो भी करना हो, तुरन्त करना चाहिए । यदि इस अन्यायको कायम रखना सरकारके लिए लज्जाकी बात है तो जनताको भी, एक माने हुए अन्यायके अस्तित्वकी जानकारी होनेके बाद उसे दूर किये बिना चुपचाप सन्तुष्ट भावसे बैठे रहना, उतना ही लज्जास्पद है ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ६६४६ ) की फोटो नकलसे ।