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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जहाँतक मैं देख सकता हूँ आज कोई भी चीज नहीं है जो और अधिक रुके रहनेका औचित्य सिद्ध करती हो। अप्रैलके महीने में जो कारण स्थगनके पक्षमें उत्पन्न हुए थे, आज नहीं बचे । लोग जानते हैं कि उनसे क्या आशा की जाती है । स्वयं सरकारका कहना है कि अब वह किसी भी संकटकी स्थितिके लिए पूरी तरह तैयार है । सत्याग्रह जैसा आन्दोलन, जहाँतक सुधारोंको लानेके तरीकेका सम्बन्ध है समाजमें एक नैतिक क्रान्ति पैदा करनेकी दृष्टिसे हाथमें लिया गया है। ऐसे आन्दोलनको आशंकाके कारण रोका नहीं जा सकता कि अनाचारी या अज्ञानी लोग कहीं इसका दुरुपयोग न करें । साथ ही हमें ऐसे किसी भी दुरुपयोगको रोकनेके लिए यथासम्भव सावधान रहना चाहिए । इसलिए मैं सभामें प्रस्ताव रखूंगा कि सविनय अवज्ञा कब शुरू की जाये, कौन-कौन व्यक्ति उसमें भाग लेंगे, और वे किस तरीकेसे सविनय अवज्ञा करेंगे, इसका फैसला करनेका अधिकार मुझे दिया जाना चाहिए। मैं सविनय अवज्ञाको कुछ क्षेत्रों तथा लोगोंतक सीमित रखनेकी बात सोचता हूँ । अन्य सत्याग्रही भी आन्दोलनमें अपना योगदान दिये गये दूसरे काम करके देंगे ।

मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ६६४९) की फोटो नकलसे ।

 

३३४. पत्र : एस० टी० शैपर्डको

लैबर्नम रोड
बम्बई
जून १२, १९१९

प्रिय श्री शैपर्ड,[१]

मैं इस पत्रके साथ 'यंग इंडिया' का वह अंश भेज रहा हूँ जिसमें बाबू कालीनाथ रायके मुकदमेका उल्लेख है । मैं आशा करता हूँ कि आप इसको पढ़नेका समय निकाल लेंगे और यदि आप मेरे इस विचारसे सहमत हैं कि श्री रायके साथ घोर अन्याय किया गया है तो आप उनकी रिहाईके आन्दोलनमें शामिल होंगे। मैं उनकी मदद के लिए बम्बईसे बाहरके कुछ मित्रोंको लिखे गये पत्रकी[२]नकल भी इसीके साथ भेज रहा हूँ । उक्त पत्रसे यह ज्ञात हो जायेगा कि श्री रायकी रिहाईके लिए आन्दोलन किस तरीकेसे चलाया जाये।

हृदयसे आपका
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ६६४७) की फोटो - नकलसे ।

  1. टाइम्स ऑफ इंडिया, बम्बईके सम्पादक ।
  2. टाइम्स ऑफ इंडिया, बम्बईके सम्पादक ।