पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४०८

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३३६. पत्र : ई० डब्ल्यू० फ्रिचलीको

लैबर्नम रोड
बम्बई
जून १३, १९१९

प्रिय श्री फिचली,[१]

मैं इस पत्रके साथ 'यंग इंडिया' का एक अंश जिसमें बाबू कालीनाथ रायके मुकदमेका उल्लेख है, और एक सामान्य पत्रकी प्रति भी जो मैंने इस मामलेमें लिखा है, भेज रहा हूँ। मेरी आकांक्षा है कि मैं इस मामले में आपकी दिलचस्पी पैदा कर सकता। मैं समझता हूँ कि आप मुझसे सहमत होंगे कि इस मामलेमें स्पष्ट ही अन्याय हुआ है ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६६५०) की फोटो नकलसे ।

 

३३७. पत्र : ई० एस० मॉण्टेग्युको

लैबर्नम रोड
बम्बई
जून १४, १९१९

प्रिय श्री मॉण्टेग्यु

मैंने सर प्रभाशंकर पट्टणीके[२] जरिये आपको सन्देश भेजते समय उनसे यह कहा था कि शायद मैं उन विषयोंपर जिनपर मैंने उनसे बातचीत की थी, आपको लिखूँगा । परन्तु चूँकि आपको अनेक प्रकारकी जिम्मेदारियोंके बीच यथासम्भव और अधिक तंग करनेकी मेरी बिलकुल इच्छा नहीं थी, मैं अभी तक रुका रहा। मैंने एक दूसरा सन्देश श्री शास्त्रियर तथा डॉक्टर सर स्टैनली रीडके जरिये भी आपके पास भेजा था।

अब आपने चूँकि कृपापूर्वक उसका उल्लेख किया है तथा आशा व्यक्त की है कि मैं भविष्य में अधिक समझदारीसे काम करूँगा, मेरा आपको पत्र लिखना जरूरी हो जाता है । आप और हम दोनों जिस साम्राज्यमें रहते हैं, उसमें हमारी एक-सी दिलचस्पी होनेके कारण मैं आपसे इस पत्रके लिए कुछ क्षण निकालनेकी माँग करता हूँ ।

 
  1. फोर्ट, बम्बईके एक वास्तुकार ।
  2. (१८६२-१९३७); भावनगर रियासतके दीवान । भारतीय परिषद के सदस्य, १९१७-९ ।