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सम्पूर्ण गांधी वाङ्ममय


भारत में शान्ति नहीं रह सकती। मैं यह भी सुझाव देता हूँ कि आप जो जाँच करानेका विचार कर रहे हैं, उसमें पंजाबकी फौजी अदालतोंने जो दण्ड दिये हैं उनपर भी पुनविचार करना शामिल होना चाहिए ।

सार्वभौम प्रतिरोधके बीच भी रौलट कानूनको बनाये रखना राष्ट्रके लिए एक चुनौती है। इसका रद किया जाना राष्ट्रीय आत्मसम्मानको सन्तुष्ट करनेके लिए और मुसलमानोंसे सुलहनामा करना उनकी धार्मिक भावनाको सन्तुष्ट करनेके लिए जरूरी है। इन दो मुद्दोंपर सुधारोंके पहले या साथ-साथ घोषणा किये बिना सुधार असफल हो जायेंगे ।

अन्तमें, मैं आपको विधेयकके द्वितीय वाचनपर आपके महत्त्वपूर्ण और उदार भाषणके लिए बधाई देना चाहूँगा। मैं जानता हूँ कि सारा भारत प्रसन्न होकर इसका स्वागत करेगा । मैं आशा करता हूँ कि विधेयक और विनियम आपके भाषणके स्तरके अनुरूप ही होंगे।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी ( एस० एन० ६६५८ ) की फोटो नकलसे ।


३३८. पत्र : एच० एस० एल० पोलकको

लैबर्नम रोड
बम्बई
जून १४, १९१९

प्रिय हेनरी,

मैं तुम्हारा थोड़ा बोझ बढ़ा रहा हूँ । इस सप्ताह के 'यंग इंडिया' के दोनों अंक पढ़ जाना और इनपर गौर करना :

१. दक्षिण आफ्रिकाकी स्थिति ।

२. रौलट-कानून ।

३. देशी रियासतोंके प्रजाजनोंका दर्जा ('यंग इंडिया' में प्रकाशित व्यासका मुकदमा[१]) ।

४. पंजाबकी जाँच, सजाओंमें रद्दोबदल करनेके अधिकार सहित ।

५. कालीनाथ रायकी रिहाई ।

फिलहाल अन्तिम बात सबसे अधिक आवश्यक है । काली बाबू बीमार हैं और कारावासके कष्टको झेल सकनेकी हालतमें नहीं हैं; व्यासका मुकदमा एक बहुत ही अहम मसला खड़ा करता है। सर प्रभाशंकर पट्टणीसे मिलिए। यदि रौलट अधिनियम जुलाई तक वापस नहीं ले लिया जाता तो मैं जुलाईमें सत्याग्रह शुरू करनेका इरादा

 
  1. देखिए “ पत्र : एन० पी० कवीको ", २५-५-१९१९ ।