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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


प्रबन्ध करना, जिससे सामलदास आश्रमकी प्रवृत्तिमें पूरी तरह रम जाये । यह तुम्हारे, छगनलालके और स्वयं सामलदासके हाथमें है । मेरे पाससे जो मदद लेनेकी जरूरत जान पड़े, सो माँगना । तीनों भाई मेरे काममें ही लग जायें; यह मेरी तीव्र इच्छा है । रणछोड़का बहुत सुन्दर पत्र आया है । रणछोड़ लिखता है कि उसे परीक्षा देनेका बहुत मोह है, इसलिए मैं उसे ऐसा करनेकी अनुमति दे दूँ। लेकिन बी० ए० की परीक्षा पास करनेके बाद तो वह मेरे पास आ ही जायेगा, ऐसा उसे विश्वास है । मेरी सारी प्रवृत्तियाँ उसे पसन्द हैं, इस विषय में उसे तनिक भी सन्देह नहीं है । रणछोड़की भाषा बहुत सुन्दर है; इससे मैं देखता हूँ कि उसने अपनी गुजराती सुधार ली है।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ६६६१) की फोटो नकलसे ।


३४०. पत्र : गंगाबेनको

मणिभवन
लैबर्नम रोड
गामदेवी, बम्बई
रविवार, जेठ बदी २ [ जून १५, १९१९]

प्यारी बेन,

आजसे यहाँ कातना सिखानेकी पाठशाला शुरू हुई है । हमेशा बारहसे तीन बजे तक चला करेगी। आप यहाँ आयेंगी, ऐसी उम्मीद रखता हूँ । बेन रामीबाईने मुझे हाथका बुना हुआ कपड़ा दिखाया है-वह बहुत सुन्दर है ।

मोहनदास गांधी वन्देमारतम्

बेन गंगाबाई मेघजी

कानजी करसनदास बिल्डिंग
होली चकला,

फोर्ट, बम्बई
मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५७३६) से ।
सौजन्य : गंगाबेन वैद्य