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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पिछले अप्रैलकी ६ तारीखको बड़े पैमानेपर किये गये प्रदर्शनके पक्षमें अनेक बातें काम कर रही थीं। परन्तु रौलट कानून उन सब बातोंकी जड़में था । में विश्वास करता हूँ कि परमश्रेष्ठ इस रौलट कानूनको वापस लेनेकी व्यवस्था करेंगे।

एक जाँच समितिकी नियुक्ति के बारेमें मेरा पत्र[१] तथा बाबू कालीनाथ रायकी रिहाईकी प्रार्थनासे[२]सम्बन्धित मेरा पत्र परमश्रेष्ठके पास पहले ही से है । ये दोनों ही नितान्त महत्त्वपूर्ण मामले हैं। और रौलट कानूनवाले आन्दोलनसे इनका घनिष्ठ सम्बन्ध है । मैं आशा करता हूँ कि मेरी दोनों प्रार्थनाओंपर परमश्रेष्ठ उदारतापूर्वक विचार करेंगे ।

मुझे इतना और निवेदन करना है कि यदि सविनय अवज्ञा फिरसे शुरू करनी जरूरी हो गई तो वह केवल मुझ तक ही सीमित रहेगी, अन्य सत्याग्रही शान्ति बनाये रखने में मदद देकर तथा ऊँचा उठानेवाली अन्य सेवाएँ करके अपनेको नागरिक अवज्ञा करने योग्य बनायेंगे । देशकी मौजूदा परिस्थितियोंमें मेरी हार्दिक इच्छा यह है कि सविनय अवज्ञाको छोटेसे-छोटे क्षेत्र तक सीमित रखूँ। फिलहाल तो हड़ताल आदि सभी प्रकारके प्रदर्शनोंको टालनेकी बात है ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६६६६) की फोटो नकलसे ।

 

३४६. भाषण : बम्बई में[३]

जून १८, १९१९

श्री गांधीने भाषण देते हुए कहा कि सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि इस भण्डारके संचालकोंका इरादा धनोपार्जन बिलकुल नहीं है। उनका एकमात्र उद्देश्य है चीजोंको यथासम्भव कम दरपर बेचते हुए जनताकी आवश्यकताओंको पूरा करना । यह भण्डार आपकी सक्रिय सहानुभूति एवं सहायताका पात्र है और इसका प्रमाण केवल तभी मिल सकता है जब अनेक धनाढ्य व्यापारी, बम्बई में ही नहीं, भारतके अन्य भागों में भी ऐसे ही अनेकों भण्डार खोलें ।

इसके बाद श्री गांधीने श्री जमनादासका एक पत्र पढ़ा जिसमें उन्होंने समारोहमें सम्मिलित हो सकने में अपनी असमर्थता व्यक्त की थी। उनको उस दिन पूनामें उपस्थित रहना था । उन्होंने पत्रमें अपनी यह अभिलाषा भी व्यक्त की थी कि बम्बई में उनके अनेकों भाई श्री नारणदासका[४]अनुकरण करेंगे।

 
  1. देखिए " पत्र : जे० एल० मैफीको ", १६-५-१९१९ ।
  2. देखिए " पत्र : एस० आर० हिगनेलको", ९-६-१९१९ ।
  3. मोरारजी गोकुलदास क्लाथ मार्केटमें, शुद्ध स्वदेशी वस्तु भण्डारके उद्घाटनपर
  4. भण्डारके मालिकों में से एक !'