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पत्र : दक्षिण आफ्रिकाकी एक महिला मित्रको

स्वच्छन्द हो गई। मैंने अपन देशवासियोंको इस आशयका सन्देश भेजा कि इस घटनाको शुभ समाचार मानें और उत्सव मनायें । परन्तु मुझे जेलके अन्दर बन्द न रखकर बम्बई प्रान्तमें पहुँचा दिया गया और वहाँ मुझे छोड़ दिया गया। मैंने बम्बई पहुँचनेपर देखा कि शहमें सर्वत्र हुड़दंग मचा हुआ है । उसी दिन शामके समय मैंने समुद्र तटपर एक विशाल सार्वजनिक सभामें भाषण दिया । मैंने लोगोंकी गलत गतिविधियोंपर घोर निराशा व्यक्त करते हुए उनके कृत्यको 'दुराग्रह' कहा। मैंने उन्हें सचेत किया कि वे अगर फिर 'दुराग्रहियों' की भाँति व्यवहार करते हुए अपनेपर किये गये विश्वासका हनन करेंगे तो मेरे सामने केवल एक ही मार्ग रह जायेगा; वह यह कि उनके विरुद्ध सत्याग्रह करके अपना 'धर्म' पालन करूँ और पिछला सत्याग्रह शुरू करने तथा सत्याग्रह तथा सत्याग्रहियोंके सुसंचालनकी बहुत बड़ी नैतिक जिम्मेदारी ओढ़ लेनेके कारण प्रायश्चितके रूपमें अपना शरीर त्याग दूँ । परन्तु पंजाबके अन्तर्गत लाहौर और अमृतसर तथा अन्य जगहों में और अहमदाबादमें भी, जिसके समीप मेरा आश्रम स्थित है, भयानक दंगे हुए, फलतः फौजी कानून जारी कर दिया गया । जान और मालकी बहुत भारी क्षति हुई। पंजाबके दंगोंका कारण सत्याग्रह आन्दोलन नहीं है । किन्तु बम्बई और अहमदाबादके दंगोंसे मेरी समझमें आ गया कि अब सच्चा सत्याग्रह यह होगा कि सत्याग्रह - कार्यक्रम स्थगित कर दिया जाये और अहिंसाके सिद्धांत क्या हैं, यह जनताको समझाया जाये। इसलिए सत्याग्रह-सभाओंने २० अप्रैलको सत्याग्रह बन्द कर दिया और इस घटना के बाद ही 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के निर्भीक सम्पादक तथा उदारमना अंग्रेज श्री बी० जी० हॉर्निमैनको देशनिकाला दे दिया गया। इस दैनिक पत्रकी जमानत जब्त करनेका हुक्म दे दिया गया और इस आशयका आज्ञापत्र भी जारी कर दिया गया कि प्रकाशित होने के पहले सरकार इसकी टिप्पणियों इत्यादिकी जाँच किया करेगी। पिछले १५ दिनोंसे 'क्रॉनिकल' उपरोक्त आदेशके कारण बिना टिप्पणीके निकल रहा है। अभी हाल ही में इस पत्रपर निरीक्षण-सम्बन्धी जो आदेश जारी हुआ वह हटा लिया गया है। समाचारपत्रके मालिकों द्वारा कानूनन जितनी ली जा सकती थी उतनी अर्थात् दस हजार रुपयोंकी जमानत, जमा करवा दी गई है । २० अप्रैलसे अबतक इन छः हफ्तोंमें पंजाबमें जो घटनाएँ घटी हैं वे क्रूरता में अभूतपूर्व हैं। अनेक क्षेत्रोंमें मार्शल लॉ घोषित कर दिया गया था; उसे वापस लिये अभी एक या दो सप्ताह ही हुए हैं। बम बरसानेके लिए हवाई जहाज काममें लाये गये हैं, मशीनगनें भी प्रयुक्त की गई हैं। सम्राट्के विरुद्ध संग्राम छेड़नेके गम्भीर आरोपमें नेतागण गिरफ्तार कर लिये गये हैं। उनके मुकदमोंकी सुनवाई फौजी कानून आयोगके द्वारा की जा रही है । 'ट्रिब्यून 'के सम्पादक, श्री कालीनाथ रायपर राजद्रोही लेख लिखनेका अभियोग लगाया गया है; उनका मुकदमा एक विशेष न्यायाधि- करणमें चलाया गया। उन्हें अपनी पसन्दका वकील करने की अनुमति नहीं दी गई । फौजी अदालत (ट्राइब्यूनल) ने उन्हें दो वर्षकी सख्त सजा दे दी है । सम्बन्धित कागजातको देखनेपर मेरे मनमें यह पक्का यकीन हो गया है कि श्री कालीनाथ रायके मामले में कानूनका बुरी तरह हनन किया गया है । दंगोंके दिनोंमें लोगोंने भी अशोभ- नीय और अतिनिन्द्य कृत्य किये हैं