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पत्र : एक मित्रको

हो सकती है। बादाम बहुत कमती खाना चाहिए। दूधकी बनी हुई बहुत चीजें खाने में ठीक नहि है, अमरूद इत्यादिके साथ मूंगफली खानेसे ठीक निर्वाह हो सकता है। बादामकी गर्ज मूंगफली नहि दे सकती है। गेहूँ एक प्रकारसे फल है; परन्तु मेरे पुस्तकमें फलका पारिभाषिक प्रयोग किया है और उसकी खसूस व्याख्या दी गई है। मेरे पुस्तकमें फलोंकी अपेक्षा तरकारीके लिए कुछ लिखा होगा, लेकिन मैं देखता हूँ हिन्दुस्तानमें तरकारी आवश्यक है । द्विदल [ दाल ] पचनेमें कठिन हैं। ज्यादह अनुभव लेनेसे हिन्दुस्तानके लिए मेरी यह राय है कि हिन्दुस्तानमें सबसे अच्छा आहार गेहूँ और तरकारी है। जिसको ज्यादह शारीरिक मेहनत करनी पड़ती है, वह भले द्विदलका भी प्रयोग करे । धार्मिक दृष्टिसे दूधके लिए मैंने बताया हुआ अभिप्राय कायम है । लेकिन शारीरिक दृष्टिसे और हिन्दुस्तानकी परिस्थितिमें दूधका त्याग अशक्य लगता है । मैंने कई बरसोंसे दूधका त्याग किया है और आजन्म नहि खानेकी प्रतिज्ञा है । परन्तु दूसरोंको में दूध छोड़ने की सलाह् तबतक नहिं दे सकता, जबतक दूध जैसी गुणवान् वस्तु मेरे हाथमें नहीं आई है। मेरी उम्मीद थी कि तिलसे और मूंगफलीसे निर्वाह हो सकेगा। एक प्रकार निर्वाह हो सकता है; परन्तु दूधके मुकाबलेमें उसमें थोड़ी त्रुटि है ।

आपको मेरी यह सलाह है कि यदि आपका शरीर आरोग्यवान हो, तो गेहूँ, दूध, चावल आदि वस्तुका सामान्य उपयोग करना, एकादशीके दिनोंमें बिना कष्ट मिल सकें. ऐसे फलोंपर निर्वाह कर लेना, शारीरिक प्रकृति अस्वस्थ होने के समय उपवास करना और हमेश बड़ी फजरमें कम-से-कम दस मिल चलनेका व्यायाम करना। एक प्रश्नका उत्तर रह गया । तेलके एवजमें तिलादिका ही चबा लेना एकदम ठीक है । चीकट पदार्थसे भरी हुई वस्तु दो तीन रुपये भारसे ज्यादा खानेमें हानिका सम्भव रहता है । निमकका सर्वथा त्याग करनेकी अपेक्षा बरसमें दो-तीन मास तक करना उचित लगता है। तीन दिनसे मैं निमक खानेकी असर मेरे शरीरपर देख रहा हूँ । महिने दो महिनेके बाद आप खत लिखोगे, तो मैं मेरा अनुभव दे दूंगा ।

आपका,
मोहनदास

महादेवभाईकी डायरी, खण्ड १


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