पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४३८

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३६३. पत्र : मुकर्जीको

लैबर्नम रोड
गामदेवी
बम्बई
जून २७, १९१९

प्रिय श्री मुकर्जी,

आपका इसी २४ तारीखका पत्र, जिसके साथ परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदयके नाम लिखा हुआ आवेदनपत्र भी संलग्न था, मिला; अनेक धन्यवाद । मैं उस आवेदन- पत्रको 'यंग इंडिया' में पूराका पूरा छाप रहा हूँ । आपने अपने पत्रमें श्री कालीनाथ रायके स्वास्थ्यके सम्बन्धमें जो छोटा-सा समाचार भेजा है उसे भी 'यंग इंडिया'में प्रकाशित कर रहा हूँ । आशा करता हूँ कि हमारे ये मित्र शीघ्र ही रिहा कर दिये जायेंगे ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६६९४ ) की फोटो नकलसे ।

३६४. पत्र : एस० टी० शैपर्डको

जून २७, १९१९

प्रिय श्री शैपर्ड,

पत्र और विशेषतया उस असंगतिकी ओर मेरा ध्यान दिलानेके लिए धन्यवाद, जो आपको व्यापारिक अनुच्छेद और विधेयकके बीच दिखाई दी है । प्रस्तुत खण्डके प्रभावको अतिरंजित रूपमें पेश करनेका मेरा मंशा कदापि न था । यदि आप कम्पनीके कामों में भारतीयोंको निमन्त्रणके अधिकारसे वंचित करते हैं तो मेरी राय में आप उन्हें ट्रान्सवालमें वैध रूपसे पंजीकृत कम्पनीके हिस्सेदारोंकी हैसियतसे अचल सम्पत्ति के स्वामी बनने से रोकते हैं। विधेयकको जहाँतक मैंने समझा है, उसके अन्तर्गत अधिकांश हिस्सेदार भारतीय नहीं हो सकते । आज ऐसी अधिकांशतः सभी कम्पनियोंमें भारतीय हिस्सेदार बन सकते हैं और वस्तुतः हैं भी । अधिनियमका उद्देश्य यह है कि वर्तमान प्रथाको अवैध रूप दे दिया जाये और उसको खत्म भी कर दिया जाये ।

कानूनकी जिस पुस्तकको आपने माँगा है उसे मैं मँगवा रहा हूँ । आशा है उसे शीघ्र आपके पास भेज सकूँगा ।

हृदयसे आपका,

[ अंग्रेजीसे ]

माइक्रोफिल्म (एस० एन० ६४८४ बी) से ।