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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बने रहनेकी वेदना और अधिक समय तक सह सकना सम्भव नहीं रह गया है; इसलिए मैं सत्याग्रह शुरू करने जा रहा हूँ और फिर इसमें पंजाबकी दुःखद घटनाओंको, फौजी कानूनकी कार्रवाइयोंको, लम्बी-लम्बी सजाओंको और बाबू कालीनाथ रायको अन्यायपूर्ण रीतिसे जेल भेजे जानेकी बातोंको जोड़िए । सत्याग्रह करनेसे मुझे रोकनेवाली केवल एक ही वस्तु है- हिंसापूर्ण कृत्योंका फिरसे घटित होना । इसी भयके कारण सत्याग्रह मैंने केवल अपने तक ही सीमित कर लिया है। दूसरोंको जेल भेजता तो कम खलबली मचती, परन्तु उसे सत्याग्रहके नामसे नहीं पुकारा जा सकता था। इस विषय में मैं जितना सोचता हूँ उतने ही अधिक स्पष्ट रूपसे मेरे पिछले वक्तव्यकी खूबी और मजबूती अंकित होने लगती है । मैंने कहा था कि सत्याग्रही केवल एक ही हो, मगर सच्चा और दृढ़ हो तो जीतके लिए वह अकेला ही पर्याप्त है ।

इस पत्रको श्री शास्त्रियरको दिखा दें; जैसा तुम्हें भेजा था वैसा ही तार उनको भी मैंने भेजा है।

वहाँ सब लोगोंको मेरा यथायोग्य कहना । तुम्हें और मिलीको मेरा प्रेम । ट्रान्सवाल विधेयक[१]बिलकुल बेहूदा चीज है। मैंने वाइसरायके नाम पत्र भेजा है । वह विधेयक इतना कठोर है कि उसके लिए कोई शब्द ढूँढे नहीं मिलता।

अंग्रेजी (एस० एन० ६६९०) की फोटो - नकलसे ।

 

३६७. पत्र : एस० आर० हिगनेलको

लैबर्नम रोड
गामदेवी
बम्बई
जून २८, १९१९

प्रिय श्री हिगनेल,

आपका ता० २५ का पत्र मिला, धन्यवाद । बहुत-कुछ सोचकर मैंने श्री मॉण्टेग्युको तार भेजना तय किया ।[२]और कल भेज भी दिया। उसकी नकल इस पत्रके साथ संलग्न है ।

आपका पत्र अप्रत्याशित नहीं था । वाइसरायको खेद हुआ है; मुझे भी हुआ है; परन्तु जीवन में व्यक्तिको कभी-कभी कर्त्तव्यसे प्रेरित होकर कुछ काम करने पड़ते हैं । और उन्हें उस लाचारीपर अफसोस होता है । तो क्या मैं परमश्रेष्ठका ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट कर सकता हूँ कि गत अप्रैल में घटित होनेवाली दुःखद घटनाएँ सत्याग्रह के किसी भी प्रकारके प्रदर्शनके कारण निष्पन्न नहीं हुई । सरकारको अच्छी तरह मालूम था कि मैं सत्याग्रह छेड़नेकी दृष्टिसे नहीं, केवल शान्ति स्थापित करनेके

 
  1. एशियाटिक लैंड ऐंड ट्रेडिंग अमेण्डमेंट बिल ।
  2. देखिए "तार : ई० एस० मॉण्टेग्युको”, २४-६-१९१९