पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



४२७
सत्याग्रहियोंको हिदायतें


करनेकी सलाह नहीं दे सकता। इसी तरह मुझे लगता है कि सत्याग्रही जुलूसों या सभाओं आदिके बारेमें जारी किये गये सरकारी आदेशोंका उल्लंघन भी न करें ।

(१०) सविनय अवज्ञाके लिए आयकरको चुना जा सकता है। आयकर चुकानेसे इनकार करनेमें किसी तरह के हिंसक उपद्रव होनेकी आशंका नहीं है और इसलिए वह व्यावहारिक मालूम होता है । किन्तु जो लोग आयकर चुकाते हैं उनमें से कोई हमारी सलाहको मानेगा या नहीं इसमें मुझे बड़ा सन्देह है। फिर भी यदि कोई सत्याग्रही इस करको न चुकाकर सत्याग्रह करना चाहता हो तो अपने नेताकी अनुज्ञा लेकर और उससे होनेवाली हानिको सहनेकी तैयारी करके वह ऐसा कर सकता है । इसलिए सविनय अवज्ञाके लिए केवल राजनैतिक कानून बच जाते हैं और उनमें भी जिनका उपयोग सविनय अवज्ञाके लिए किया जा सके ऐसे तो केवल प्रेस-कानून और मुद्रण-कार्यसे सम्बन्धित कानून ही हैं। इन कानूनों में भी सविनय अवज्ञा करनेका एक ही सम्भव तरीका है : अनुमतिपत्र लिये बिना छापाखाना खोला जाये या अख- बार निकाला जाये और अपने नेताकी स्वीकृति लेकर यह कार्य अपनी ही जिम्मेदारी- पर किया जाये ।

(११) इसलिए मैं यही सलाह दे सकता हूँ कि जब किसी सत्याग्रहीको स्थान बन्धनका आदेश मिले या जब उसे ऐसी कोई चीज बोलने या प्रकाशित करनेकी मनाही की जाये जिसे सरकार बुरा मानती हो किन्तु जो सत्याग्रहकी दृष्टिसे निर्दोष हो तो ऐसे आदेशोंकी अवगणना की जाये ।

(१२) बहुत सम्भव है कि सरकार सविनय अवज्ञाके सिद्धान्तके प्रचार और निषिद्ध साहित्यके मुद्रण और प्रसारणके प्रति, यद्यपि ऐसा साहित्य नीतिकी अर्थात् सत्याग्रहकी दृष्टिसे सर्वथा अहानिकर है, उदासीन न रहे। ऐसा हो तो सविनय अवज्ञाके हमारे कर्त्तव्यका निर्वाह इसीमें हो जाता है और बहुत आसानीसे तथा शालीनताके साथ हो जाता है। लेकिन नेता लोग सविनय अवज्ञाके योग्य ऐसे दूसरे कानूनोंको खोजकर जिनकी ओर मेरा ध्यान न गया हो ऊपर [ सविनय अवज्ञाके ] जिन तरीकोंका उल्लेख हुआ है उनमें वृद्धि कर सकते हैं ।

किन्तु यदि वे ऊपरके अनुच्छेदोंमें उल्लिखित सीमाओंके ही भीतर रहें तो उनका ऐसा करना गलत नहीं होगा। हाँ, यदि वे ऐसे कानून चुनेंगे जो सविनय अवज्ञाके योग्य नहीं है या जिनके सविनय भंगसे अविनय भंगकी परिस्थिति पैदा होनेकी सम्भावना हो तो अवश्य वे गम्भीर अविवेकके दोषी माने जायेंगे ।

(१३) सविनय अवज्ञा करनेके कारण मुकदमा चलनेपर सत्याग्रहीको, यदि उसने वैसा किया है तो, अपना अपराध स्वीकार कर लेना चाहिए, कोई बचाव पेश नहीं करना चाहिए और कठिनतम दंडकी मांग करनी चाहिए। यदि उसने सविनय अवज्ञा न की हो और उसपर उसका झूठा आरोप लगाया गया हो तो उसे अपने वक्तव्यमें यह बात बता देनी चाहिए, लेकिन इसके आगे और कोई बचाव पेश नहीं करना चाहिए और जो भी दण्ड दिया जाये स्वीकार कर लेना चाहिए। यदि उसपर कानूनके अपराधात्मक भंगका आरोप लगाया जाये, उदाहरणके लिए ऐसा कहा जाये कि उसने राजद्रोहपूर्ण बात कही है या कि लोगोंको राजद्रोहके लिए भड़काया है, तो उसे