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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अपराध अस्वीकार करते हुए बयान देना चाहिए और अपने पक्षमें गवाही पेश करनी चाहिए। उसकी इच्छा हो तो वह वकील भी लगाये लेकिन [ सत्याग्रह ] सभा या दूसरे सत्याग्रही इसमें उसकी मदद के लिए निधि इकट्ठी करेंगे, ऐसी अपेक्षा नहीं है । यह उनके कर्त्तव्यका हिस्सा नहीं है क्योंकि सत्याग्रहका तो मर्म ही यह है कि सत्याग्रही जानबूझकर सविनय अवज्ञा करके दण्डको न्यौता दे और चूँकि वह कैदकी परवाह नहीं करता इसलिए सजाको तब भी स्वीकार कर ले जब कि उसपर कानूनके अपराधात्मक भंगका झूठा आरोप लगाया गया हो। सजा जब उसकी बुलाई हुई होती है तब वह उसमें गौरवका अनुभव करता है और जब वह उसे झूठा और द्वेषमूलक आरोप लगाकर दी जाती है वह उसका प्रतिकार नहीं करता, उसे सह लेता है । सत्याग्रहीको इस बातकी परवाह नहीं करनी चाहिए कि अच्छा वकील लगानेका प्रयत्न न करनेके कारण सम्भव है कि उसे न केवल न्यायालय दोषी घोषित करे बल्कि लोग भी ऐसा ही समझ लें। उसका न्यायालय तो संयम-शुद्ध अन्तरात्माकी आवाज ही है।

(१४) मैं इस निर्णयपर पहुँचा हूँ कि अच्छा हो, बम्बई प्रान्तको कई स्वतन्त्र और आत्म-निर्भर केन्द्रोंमें बाँट दिया जाये - हर केन्द्र दूसरोंसे सलाह-मशविरा करके उनका सहयोग प्राप्त करे लेकिन कोई भी किसी दूसरेके आदेशके अधीन न हो; और मैं ऐसे केन्द्रोंके रूपमें बम्बई, सूरत, भड़ौंच, नडियाद और अहमदाबादको चुनता हूँ । मैं अन्य प्रान्तोंमें ऐसा कोई चुनाव नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि बम्बई सभाका अधिकार- क्षेत्र बम्बई प्रान्ततक ही सीमित है और मुझे जिन प्रस्तावोंके द्वारा ये विस्तृत अधिकार दिये गये हैं उनका सम्बन्ध केवल इस प्रान्तसे ही हो सकता है।

(१५) इसलिए मेरा इरादा इसे आधार बनाकर, इस प्रान्तसे बाहरके केन्द्रोंके लिए, अलग-अलग कुछ संक्षिप्त निर्देश देनेका है । इस अनुच्छेदके अन्तर्गत निर्धारित केन्द्रोंमें से प्रत्येक अपने जिलेके लिए जिम्मेदार होगा; उदाहरणार्थ, नडियाद पूरे खेड़ा जिलेके लिए जिम्मेदार होगा । बम्बईके लिए मैं बारी-बारीसे श्रीमती नायडू, श्री उमर सोभानी, शंकरलाल जी० बैंकर, और इ० क० याज्ञिकको नेता चुनता हूँ । हाँ, श्रीमती नायडूके साथ शर्त यह है कि वे समयपर लौट आयें और श्री याज्ञिकके साथ यह कि उन्हें अहमदाबादसे फुरसत मिल जाये। सूरतके लिए सर्वश्री दयालजी मनुभाई देसाई और कल्याणजी विट्ठलभाई मेहताको चुनता हूँ । इसी प्रकार, भड़ौंचके लिए श्री हरिभाई झवेरभाई अमीन, नडियादके लिए सर्वश्री फूलचन्द बापूजी शाह और मोहनलाल के० पंड्या, और अहमदाबादके लिए, बम्बईकी तरह ही बारी-बारीसे, सर्वश्री वल्लभभाई जे० पटेल, बलवन्तराय नरसिंहप्रसाद कानूगा और इन्दुलाल कन्हैयालाल याज्ञिकको नेता नियुक्त करता हूँ। नेताओंको मेरी सलाह है कि वे छोटी-छोटी समितियाँ बना लें और अपने मार्ग-दर्शनके लिए ऐसी समितियों तथा अन्य साथी सत्याग्रहियोंसे परार्मश करें।

(१६) मैं तो बराबर यही मानता रहा हूँ कि कोई दंगा-फसाद वगैरह नहीं होगा। लेकिन अगर अघटित हो ही जाये और कुछ दंगा-फसाद हो तो सम्बन्धित केन्द्रमें रहनेवाले प्रत्येक सत्याग्रहीसे यह अपेक्षा की जायेगी कि वह लोगोंकी जान