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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

व्यवस्थापक इस पत्रको लाभकी दृष्टिसे नहीं चलाना चाहते। इसलिए सदस्यताके लिए चन्देकी दर कमसे कम, यहाँतक कि डाकखर्च मिलाकर भी प्रतिवर्ष तीन रुपये आठ आने रखनेका निश्चय हुआ है। इतना ही चन्दा 'नवजीवन' मासिकके लिए भी जुलाई महीने से उसके आकार में वृद्धि करके लेना निश्चय किया गया है । [ साप्ताहिक ] 'नवजीवन' की एक प्रतिकी कीमत एक आना होगी और पहला अंक रविवार ७ सितम्बरको प्रकाशित होगा ।

उपर्युक्त रकम चन्देके लिहाजसे कमसे कम मानी गई है उसका मुख्य कारण यह है कि इस साप्ताहिकमें विज्ञापन बिलकुल नहीं लिये जायेंगे । दक्षिण आफ्रिका में बहुत वर्षों 'इंडियन ओपिनियन' चलाने के कारण मुझे ऐसा अनुभव हुआ कि विज्ञापनोंसे जनताको कोई लाभ नहीं पहुँच सकता । विज्ञापनोंका खर्च भी तो अन्ततः जनता ही देती है और नीति-अनीतिमय तथा अनेक प्रकारके विज्ञापन उसकी निगाह में पड़ते हैं । इसलिए 'इंडियन ओपिनियन' अनेक वर्षोंसे बिना विज्ञापनके चल रहा है। अभी फिलहाल तो 'नवजीवन के फुलस्केपके आकारके आठ पृष्ठ दिये जायेंगे । सदस्य संख्याके बढ़ने पर तथा सुचारु रूपसे व्यवस्था होनेपर इसके आकारमें भी वृद्धि कर दी जायेगी ।

'नवजीवन' मासिकके ग्राहक होनेके साथ जो इसके सदस्य बनना चाहते हों उन्हें, व्यवस्थापकों के नाम अहमदाबादके पतेपर, अपने नाम भेज देने चाहिए। मुझे उम्मीद है कि 'नवजीवन' के बहुत सदस्य बनेंगे ।

मोहनदास क० गांधी

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन अने सत्य, जुलाई, १९१९

३८१. स्वदेशी सभाके नियम[१]

[ जुलाई १, १९१९ के पूर्व ][२]

१. इस संघका नाम स्वदेशी सभा होगा ।

२. स्वदेशी सभाका मुख्य कार्यालय बम्बई में होगा ।

३. इसके उद्देश्य हैं:

(क) लोगोंको स्वदेशीकी प्रतिज्ञा और उसका महत्त्व समझाकर जिस रूपमें संलग्न अनुसूचीमें प्रतिज्ञा दी गई है, उस रूपमें उसका प्रचार करना;
(ख) रेशमी, ऊनी और सूती स्वदेशी कपड़े के अधिकाधिक उत्पादनके उपाय सोचना और उन्हें कार्यान्वित करनेके सारे प्रयास करना;
(ग) कपड़ोंके अलावा अन्य उपयोगी चीजों में भी स्वदेशी दाखिल करनेकी कोशिश करना और देशमें ऐसी सभी चीजोंके उत्पादनके प्रयत्न करना ।
  1. अनुमानतः इसका मसविदा गांधीजीने तैयार किया ।
  2. केन्द्रीय स्वदेशी सभाका उद्घाटन बम्बईमें जुलाई १, १९१९ को किया गया था ।