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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उन्हें गांधी- स्मट्स समझौते में ऐसी कोई बात दिखाई नहीं दी कि आजकी तारीखसे किसी भी भारतीयको कोई नया व्यापारिक परवाना न दिया जाये । यह समझौता रक्षणात्मक ढंगका था जिसके अन्तर्गत यह वचन दिया गया कि कानूनपर अमल करते समय निहित स्वार्थीका उचित ध्यान रखा जायेगा और स्वर्ण-कानूनका प्रयोग भारतीय समाजके विरुद्ध नहीं किया जायेगा ।

मेरे पत्र या समस्त समझौतेका चाहे जो भी अर्थ लगाया जाये, भारतके सामने भारत सरकार और भारतीय जनताके सामने - आज एक ही सवाल है,; वह यह कि क्या ट्रान्सवालके भारतीयोंको, जिन्होंने साम्राज्यकी सेवा उतनी ही वफादारीसे की है जितनी वफादारीसे दक्षिण आफ्रिकामें बसे अन्य लोगोंने, वहाँ रहने, स्वतंत्रतापूर्वक व्यापार करने और अचल सम्पत्ति रखनेके इतने अधिकारसे भी वंचित कर दिया जायेगा जितने का कि वे आजतक उपभोग करते रहे हैं ? भारत सरकार और भारतीय जनता इसका केवल एक ही उत्तर दे सकती है, और मुझे आशा है कि इस सप्ताहकी समाप्ति के पूर्व ही भारत अपने सपूतोंके नाम, जो अत्यन्त विपरीत परिस्थितियोंमें जूझ रहे हैं, आशाका सन्देश भेजेगा ।

अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ५-७-१९१९


३९२. पत्र : एफ० सी० ग्रिफिथको

लैबर्नम रोड
[ बम्बई ]
जुलाई ५, १९१९

प्रिय श्री ग्रिफिथ,

आपका पत्र अभी-अभी मिला तदर्थ धन्यवाद । आपने किररका सन्देश सूचित करते हुए जो पत्र भेजा था वह कल ही मिल गया था, और आपको उसकी प्राप्ति सूचित करनेके लिए लिखने ही जा रहा था कि यह दूसरा पत्र मिला । यह मानते हुए कि गाड़ी समयपर पहुँचेगी, में मंगलवारको[१]१२ बजेके बाद जितनी जल्दी हो सकेगा, आपके पास पहुँच जाऊँगा । तभी परमश्रेष्ठसे मिलनेका समय आसानीसे निश्चित किया जा सकेगा। वैसे यह कह दूँ कि अगर परमश्रेष्ठको एक दिन बाद मिलना अधिक सुविधाजनक हो तो इतनी देरीके कारण मेरे लिए कोई खास फर्क नहीं होगा ।

खान साहबको आपने ऐसी मुस्तैदीसे मेरे पास भेज दिया इसके लिए धन्यवाद । उन्होंने मुझे बहुत आशा दिलाई है और अगर यह आशा फलीभूत हुई, और आप अन्यथा न मानें तो बेचारी फातिमाको छोड़ दें, विशेषकर तब जब कि यह सुखद

  1. ८ जुलाई ।