पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४९
पत्र: एच० एस० एल० पोलकको

बात ऐसे समय में हो जिस समय में भारत रक्षा कानूनके अन्तर्गत किसी जगह जेलमें बन्द होऊँ ।

हृदयसे आपका,

(अंग्रेजीसे एस० एन० ६७२५) की फोटो नकलसे ।

३९३. पत्र : एच० एस० एल० पोलकको

जुलाई ५, [१९१९]

प्रिय हेनरी,

तुम्हारा गोपनीय पत्र मिला । कहना पड़ेगा कि मुझे यह अच्छा नहीं लगा। इस बातको पूरी तरह जानते हुए कि प्रशासनिक कार्रवाई करके सभी व्यापारिक परवाने छीन लिये जायेंगे, हम सिर्फ औपचारिक ढंगकी कानूनी समानता स्वीकार नहीं कर सकते । व्यापार और अचल सम्पत्तिके प्रश्नपर हमें बहुत सख्त रुख अपनाना चाहिए । कमसे कम मौजूदा कानून और वर्तमान चलन और जहाँतक यह चलन हमारे पक्ष में है, उसे किसी भी तरह बरकरार रखा जाना चाहिए, और जहाँ वर्तमान चलनपर मौजूदा कानूनका असर हमारे हकमें नुकसानदेह होता हो - जैसा कि दादा [ उस्मान ] के मामलेमें है - वहाँ कानूनमें वर्तमान चलनके अनुसार परिवर्तन किया जाना चाहिए। मैं यहाँ इसी दिशा में काम करनेका प्रयास कर रहा हूँ ।

'यंग इंडिया' देखनेसे तुम्हें मालूम हो जायेगा कि क्या-कुछ किया जा रहा है । 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के श्री शेपर्डने भी इस मामलेमें हमारे पक्षमें लिखा है ।

और जहाँतक सविनय अवज्ञाकी बात है, मैं तुमसे कुछ खबर पानेकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ : वाइसरायको लिखे अपने पत्रके उत्तरकी भी प्रतीक्षा है । मणिलाल व्यासको ब्रिटिश भारतसे निकल जानेका जो आदेश दिया गया है, तुमने 'यंग इंडिया' में उसके बारेमें उनका प्रार्थनापत्र देखा होगा। पिछले फरवरी माह के मध्य में मैंने श्री जहाँगीर पेटिटको दक्षिण आफ्रिकी प्रश्नपर विचार करनेके लिए लिखा था । उसीसे प्रेरित होकर आज वे साम्राज्यीय नागरिकता संघकी समितिकी एक बैठक कर रहे हैं। इस सम्बन्धमें तुम्हारा क्या विचार है ?

कृपया संलग्न कागजोंको, उनपर दिये गये अलग-अलग पतोंपर भेज दें।

अंग्रेजी (एस० एन० ६४८४ बी) की फोटो - नकलसे ।

१५-२९