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सत्याग्रहियोंका कर्त्तव्य

उखाड़नेकी कार्रवाईसे । अहमदाबादमें भीड़ने जो-कुछ किया वह क्रोधके आवेशमें, लेकिन खेड़ामें जो कुछ किया गया वह जान-बूझकर । ये कार्रवाइयाँ भी क्रोधमें ही की गईं थीं, किन्तु क्रोधमें भी एक ऐसी स्थिति होती है जब आदमी विचारशून्य हो जाता है और दूसरी ऐसी होती है जब उसमें विचार करनेकी क्षमता रहती है । खेड़ाके अपराध परिणामकी दृष्टिसे यद्यपि अहमदाबादके लोगोंके अपराधोंसे कम घातक सिद्ध हुए, लेकिन अगर अपराधका भी कोई औचित्य सिद्ध किया जा सकता हो तो वे अहमदाबादकी घटनाओंसे अधिक अनुचित थे । मेरा खयाल है कि जो लोग अप्रैलके दुष्कृत्योंके लिए जिम्मेदार हैं उन सभीने सामने आकर अपना अपराध स्वीकार करनेका साहस नहीं दिखाया है । यह बड़े दुःखकी बात है कि जिस खेड़ाका व्यवहार लगान-आन्दोलनके समयमें इतना शानदार हुआ वह अप्रैल में अपने गौरव और मर्यादाको भूल गया। लेकिन उससे भी अधिक दुःखकी बात तो यह है कि अब अपराधी लोग अपनेको छिपानेकी कोशिश कर रहे हैं। इसलिए अगर सत्याग्रहियों में से कोई भी इन अपराधोंके लिए किसी प्रकार जिम्मेदार हो तो उसका सीधा-सादा कर्त्तव्य यह है कि वह सामने आकर अपना अपराध स्वीकार करे और अगर ऐसे अन्य लोगोंको जानता हो तो उन्हें भी इसे स्वीकार करनेपर राजी करे। रेलकी पटरियाँ तोड़कर, शान्ति सुव्यवस्था कायम करनेके लिए आनेवाले सिपाहियोंकी जानको खतरेमें डालना ही कायरताका बहुत बड़ा प्रमाण है । लेकिन उससे भी बड़ी कायरता है अपना अपराध स्वीकार करनेको आगे न आना । छिपा हुआ पाप जहरके समान है जो सारे शरीरको दूषित कर देता है। यह जहर जितनी जल्दी निकाल दिया जाये, समाजके लिए उतना ही अच्छा है । जैसे संखिया मिले दूधमें शुद्ध दूध मिला देनेसे संखियाका कुप्रभाव कम नहीं हो जायेगा, वैसे ही किसी समाजमें अगर किसी पापका प्रायश्चित्त न किया जाये तो फिर उसमें चाहे जितने सुकर्म क्यों न किये जायें; वे उस पापके प्रभावको दूर नहीं कर सकते। मुझे आशा है कि आप उन लोगोंको ढूँढ़ निकालने के लिए कुछ भी नहीं उठा रखेंगे जिन्होंने अपने दुःखके अतिरेकमें अक्षम्य अपराध किये हैं। साथ ही आप उनसे अपने अपराधोंको मर्दोंकी तरह सामने आकर स्वीकार करने और इस प्रकार इस जिलेके सामाजिक, नैतिक और राजनीतिक वातावरणको पवित्र बनानेका अनुरोध करेंगे।

(मैंने भाषणको बहुत संक्षिप्त कर दिया है, लेकिन कहीं-कहीं अर्थको पूरा करने या अधिक स्पष्ट करनेके खयालसे एक-दो वाक्य जोड़ भी दिये हैं।

मो० क० गां०

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ९-७-१९१९