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लाला राधाकृष्णका मुकदमा

आप ऐसे धर्मको स्वीकार करें, यही मेरी प्रार्थना है । ईश्वरसे भी प्रार्थना है कि वह सबको ऐसी बुद्धि दे और इस कार्यकी ओर प्रवृत्त करे ।

[ गुजरातीसे ]
गुजराती, २०-७-१९१९


३९६. पत्र : बम्बईके गवर्नर के निजी सचिवको

[ जुलाई ८, १९१९ या उसके बाद ]

पत्रके[१]लिए धन्यवाद । मैं परमश्रेष्ठसे शनिवार १२ तारीखको तीसरे पहर ३ बजे नियत समयपर मिलूँगा । श्री ग्रिफिथसे यह जानकर दुःख हुआ कि परमश्रेष्ठकी तबीयत खराब हो गई थी । लेकिन पूरी आशा है कि अबतक वे बिलकुल स्वस्थ हो गये होंगे।

अंग्रेजी (एस० एन० ६७३२) की फोटो- नकलसे ।


३९७. लाला राधाकृष्णका मुकदमा

जब इन स्तम्भोंमें बाबू कालीनाथ रायके मुकदमेकी चर्चा शुरू हुई तो बहुत—से पंजाबी भाइयोंने मुझसे कहा कि मैं लाला राधाकृष्णके[२] मामलेको भी क्यों नहीं उठाता; उनका मामला बाबू कालीनाथ रायके मामलेसे अधिक नहीं तो कम जोरदार भी नहीं। मैंने उन भाइयोंसे नम्रतापूर्वक कहा कि लाला राधाकृष्णके मामलेके बारेमें मुझे जानकारी नहीं है और यदि मुझे उनसे सम्बन्धित कागजात भेजे जायें तो मैं प्रसन्नतापूर्वक उन्हें देखूँगा । अब मुझे वे कागजात, यानी अभियोग, बचावकी दलीलें, फैसला, लाला राधाकृष्णके आवे—दनपत्र और 'प्रताप' के उन अंशोंका अनुवाद जिनसे अभियोग—पत्रमें दिये गये उद्धरण लिये गये हैं; मिल गये हैं। ये सभी इस अंक में प्रकाशित हैं। इस प्रकार अब पाठकोंके सामने किसी निश्चित निष्कर्षपर पहुँचनेके लिए पूरे तथ्य मौजूद हैं।

मेरी नम्र सम्मति में यह निर्णय भी न्यायका मजाक है। बल्कि यह मामला कुछ अंशोंमें बाबू कालीनाथ रायवाले मामले से भी बुरा है ! 'ट्रिव्यून' की तरह 'प्रताप' में कोई उत्तेजनात्मक शीर्षक नहीं दिया गया था। अभियुक्तको भारतीय दण्ड विधानकी धाराके अन्तर्गत नहीं बल्कि युद्ध—सम्बन्धी उद्देश्योंके लिए बनाये गये एक अस्थायी नियमके अधीन सजा दी गई है। इस नियमको देखनेपर पाठकगण मेरा मतलब समझ जायेंगे । यहाँ

 
  1. ८ जुलाईका पत्र, जिसमें यह सूचना दी गईं थी कि गवर्नर गांधीजीसे पूनामें शनिवारको मिलना चाहते हैं ।
  2. प्रतापके सम्पादक ।