पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४६०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यह बतला दूँ कि यह नियम विधान परिपने नहीं बनाया है । इसे भारत रक्षा कानून के अधीन प्राप्त अधिकारोंकी रू से सरकारने लागू किया है। नीचे यह नियम पूरा का पूरा दिया जा रहा है :

(१) जो कोई भी लिखे या बोले गये शब्दों, या किन्हीं संकेतों, अथवा दृश्य चित्रण या अन्य किन्हीं दृश्य विधियोंसे कोई ऐसा वक्तव्य, अफवाह या समाचार प्रकाशित या प्रचारित करेगा :—
(क) जो झूठा है और जिसे सच माननेका उसके सामने कोई उचित कारण नहीं है, और जिसका उद्देश्य जनता या जनताके किसी हिस्सेमें भय या आतंक पैदा करना है या जिससे ऐसा भय या आतंक पैदा होनेकी सम्भावना है; या
(ख) जिसका उद्देश्य समुद्रमें या जमीनपर महामहिमकी सेनाओंकी सफलता अथवा महामहिमको सरकारके किसी मित्र राष्ट्रकी सेनाओंकी सफलताके मार्ग में बाधा पहुँचाना हो या जिससे ऐसी बाधा पहुँचनेकी सम्भावना है; या
(ग) जिसका उद्देश्य विदेशी शक्तियोंके साथ महामहिमके सम्बन्धोंको बिगाड़ना है या जिससे उनके बिगड़ने की सम्भावना है; या
(घ) जिसका उद्देश्य महामहिमकी प्रजाके विभिन्न वर्गोंके बीच वैर और विद्वेषके भावको बढ़ावा देना हो या जिससे ऐसे भावको बढ़ावा मिलनेकी सम्भावना हो : वह तीन साल तक की सख्त या सादी कैदको सजाका भागी होगा; और वह जुर्माना भी भागी होगा, या अगर यह सिद्ध हो जाता है कि उसने उपर्युक्त कार्रवाई सम्राट्के शत्रुओंको सहायता देनेके लिए की है तो उसे मृत्यु-दण्ड, आजीवन देश निकाला या दस साल तककी कंदकी सजा दी जायेगी।
(२) इस नियमके विरुद्ध किये गये किसी अपराधके मामलेमें कोई भी अदालत अपने न्यायिक अधिकारका प्रयोग तबतक नहीं करेगी जबतक कि गवर्नर जनरलको परिषद् या स्थानीय सरकार या इस सम्बन्धमें गवर्नर—जनरलकी परिषद् द्वारा अधिकृत किसी अधिकारीके आदेशसे, या उससे प्राप्त सत्ताके अधीन, शिकायत न की जाये ।

तो पाठक देख सकते हैं कि यह नियम इतना कड़ा है कि [ खुद इस नियमके ही अनुसार ] इसके विरुद्ध किये गये किसी अपराधके मामलेमें तबतक कोई भी अदालत कार्रवाई नहीं कर सकती जबतक कि सरकार या इस सम्बन्धमें उसके द्वारा नियुक्त कोई अधिकारी विशेष आदेश न दे ।

अब जो आरोप लगाया गया है, हम उसपर विचार करें। यह तो मानी हुई बात है कि किसी आरोपपत्र में कोई परिहार्य गलतबयानी या व्यंग्योक्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन, हम देखते हैं कि इस आरोपपत्रमें कुछ बहुत भारी गलतबयानियाँ हैं । वादीने [ अभियुक्त ] जिन तीन विधानोंको गलत बताया है, उनमें से एक यह है कि अभियुक्तने अपने पत्र में कहा "उनपर [ भीड़ पर ] बिना किसी कारणके गोलियाँ चलाई गईं।" यह एक बहुत खतरनाक गलतबयानी है। दरअसल वह अंश इस प्रकार है : कि "उनपर, कमसे—