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३९९. पत्र : सुन्दरलालको

लैबर्नम रोड
गामदेवी
बम्बई
जुलाई १२, १९१९

इसके साथ मैं 'यंग इंडिया' का वह अंक भेज रहा हूँ जिसमें लाला राधाकृष्णके मामलेकी चर्चा है। मेरी सम्मति में यह मामला अधिक नहीं तो बाबू कालीनाथ रायके मामले जितना बुरा तो अवश्य ही है और मेरा खयाल है चूँकि लाला राधाकृष्ण श्री रायके बराबर प्रभावशाली व्यक्ति नहीं हैं, इसलिए आपको उनके मामलेमें और भी शीघ्रता करनी चाहिए। मेरे खयालसे श्री रायके मामलेमें जो तरीका अपनाया गया है, वही इस मामलेमें भी अपनाया जाना चाहिए। इस मामलेमें वकील, सम्पादक और आम जनता अलग—अलग ज्ञापन न देकर संयुक्त रूपसे एक ही ज्ञापन दें, कदाचित् इससे काम चल जायेगा। चूँकि मामला अब भी पंजाब सरकारके विचाराधीन है, अतः सभाएँ निश्चय ही की जायें सार्वजनिक सभाओं में प्रस्ताव पास करके वाइसराय और लेफ्टिनेंट गवर्नरको भेजे जा सकते हैं। मुझे यह कहने की जरूरत नहीं है कि तत्काल राहत हासिल करनेके लिए तत्परता दिखाना आवश्यक है ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६७४१ ) की फोटो नकलसे ।

४००. भाषण : स्वदेशीपर[१]

जुलाई १२, १९१९

गांधीजीने छात्रोंके सामने हिन्दीमें भाषण देते हुए कहा कि स्वदेशीके प्रश्नमें भाषाका प्रश्न भी शामिल हैं, इसलिए में आपके सम्मुख अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दीमें भाषण देना चाहता हूँ, अंग्रेजीमें नहीं; किन्तु मेरा विषय होगा कपड़ोंसे सम्बन्धित स्वदेशी ।

डॉ० हैरॉल्ड मैनने पूनाके पास एक दक्षिणी गाँवको स्थितिकी जाँच की है और यह देखा है कि आबादीका एक बड़ा हिस्सा हर साल काफी समयतक बेकार रहता है और उसे एक—एक रोजकी मजदूरी जैसे गाँवोंसे दूध लेकर पूना पहुँचाना, गोला—बारूदके

 
  1. फिलॉसॉफिकल क्लबके तत्त्वावधान में आयोजित यह सभा फर्ग्युसन कॉलेज, पूनामें हुई थी। सभाकी अध्यक्षता कॉलेजके प्रिंसिपल श्री आर० पी० परांजपेने की थी ।