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४०७. पत्र : छगनलाल गांधीको

[ बम्बई
जुलाई १४, १९१९][१]

चि० छगनलाल,
तुम्हारा पत्र मिला ।

तुमने जो १०० रुपयेका चेक भेजा, वह रेवाशंकर भाईके पतेपर मिला है। तुम्हें उसकी ओरसे इसकी प्राप्ति रसीद मिल गई होगी । इसके अलावा पोलकके हिसाबमें ४,००० रुपयेका और दक्षिण आफ्रिका सम्बन्धी खर्चके लिए १,००० रुपयेका चेक भी मिला है । वह भी यहीं जमा कराया गया है। इसे तुमने तत्सम्बन्धी खातेमें दर्ज कर लिया होगा । स्वदेशी-स्टोरके आंकड़ोंके सम्बन्धमें कुछ उपाय कर रहा हूँ ।

वाइसरायकी ओरसे अन्तिम पत्रकी राह देख रहा हूँ। उसके आने तक कुछ निश्चय नहीं किया जा सकता। मेरा विचार शनिवारको रवाना होकर वहाँ आनेका है। आज लेडी टाटा, लेडी पेटिट और श्रीमती जहाँगीर पेटिट [ कातना ] सीखने आई थीं । वे एक-एक चरखा भी ले जायेंगी । कौन जाने क्या खूबी है, लेकिन मछली जैसे पानी पसन्द कर लेती है वैसे ही स्त्रियोंने भी चरखेको अपना लिया है।

बापूके आशीर्वाद

[ पुनश्च : ]
कामका तुमपर कितना-क्या बोझ है ? रेवाशंकर कैसा काम करता है ?
गुजराती पत्र (एस० एन० ६७४५) की फोटो - नकलसे ।

४०८. पत्र : मामा फडकेको [२]

बम्बई
मंगलवार, जुलाई १५, १९१९

भाईश्री मामा,

आपका पत्र मिला । ऐसा लगता है, मैं वहाँ आगामी सप्ताह आऊँगा । वर्तमान स्थितिको देखते हुए मैं मंगल अथवा बुधवारको वहाँ पहुँचूँगा । भाई वामनरावको भी

 
  1. यह पत्र " पत्र: छगनलाल गांधीको", जुलाई १३, १९१९ के बाद, लेकिन “पत्र : मामा फडकेको", जुलाई १५, १९१९ से पहले लिखा गया जान पड़ता है । जिसमें गांधीजी कहते हैं कि वे आगामी सप्ताह मंगलवार अथवा बुधवार के दिन अहमदाबादमें होंगे ।
  2. बड़ौदाके गंगानाथ विद्यालयके अध्यापक; बादमें गांधीजीके सहयोगी ।