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साम्राज्यीय सम्मेलनके प्रस्ताव

बातको महान् उपलब्धि न समझ लें कि उपनिवेश जैसे कानून हमारे खिलाफ पास कर सकते हैं, वैसे ही हम उनके खिलाफ कर सकते हैं। यह तो वैसा ही है कि कोई दैत्य किसी बौनेसे कहे कि वह मुवकेके बदले मुक्का मारनेके लिए स्वतन्त्र है। भारतमें प्रवेश चाहनेवाले उपनिवेशियोंको अनुमति तथा पारपत्र देनेसे कौन इनकार करेगा? किन्तु भारतीयोंको, वे चाहे जितने योग्य क्यों न हों, उपनिवेशोंमें अल्पकालिक प्रवेशकी अनुमति देनेसे भी निरन्तर इनकार किया जाता है। दक्षिण आफ्रिकाके प्रवास सम्बन्धी विधानको सत्याग्रह आन्दोलनने प्रजातीय कलंकसे मुक्त किया। किन्तु उनके प्रशासनमें भेद अब भी चल रहा है और वह तबतक चलता रहेगा जबतक भारत कहनेको और वास्तवमें, हर दृष्टिसे पराधीन है।

उन लोगोंके बारेमें जो वहाँ पहलेसे रहते हैं, किया गया समझौता १९१४ के समझौते की शर्तोंको ही दुहराता है। यदि इसका विस्तार कैनेडा तथा आस्ट्रेलिया तक होता है तो यह निश्चित रूपसे लाभ है, क्योंकि कैनेडामें अभी हालमें ही एक बड़ा आन्दोलन चला था, इसका कारण यह था कि सरकारने अपने सिक्ख अधिवासियोंके पुत्रोंकी पत्नियोंको प्रवेशकी अनुमति देनेसे इनकार कर दिया था। मैं इतना और कहूँ कि दक्षिण आफ्रिकाका समझौता शायद उन लोगोंको भी संरक्षण देता है जिनकी समझौते से पहले एकसे अधिक पत्नियाँ रही हैं, विशेषरूपसे यदि वे पत्नियाँ कभी दक्षिण आफ्रिका में प्रवासी रह चुकी हैं। सम्भवतः ईसाई धर्म-प्रधान देशमें केवल एक पत्नीको वैधता देना उचित हो। किन्तु ऐसे देशके लिए भी यह आवश्यक है कि मानवताके हित तथा उस ________________ जिसके अनुसार सम्मेलनने निम्नलिखित बातें स्वीकार कीं : (१) ब्रिटिश राष्ट्रमण्डलके विभिन्न राष्ट्रोंकी सरकारोंका, जिसमें भारत भी शामिल है, यह सहज कर्तव्य है कि वे किसी अन्य जातिके प्रवासको प्रतिबन्धित करके अपनी जनसंख्यापर पूर्ण नियंत्रण रख सकें। (२) ऐसे ब्रिटिश नागरिकको जो ब्रिटिश राष्ट्रमण्डलके किसी भी देशमें, जिसमें भारत भी शामिल है, बस गये हों, किसी अन्य ऐसे ही ब्रिटिश देशमें आमोद-प्रमोद या व्यापारके उद्देश्यसे जानेकी अनुमति दी जानी चाहिए। इसमें शिक्षाके लिए अस्थायी निवास भी आ जाता है। इस प्रकारको यात्राओं की शर्तों का विनियमन पारस्परिकताके सिद्धांतपर निम्न ढंगसे होना चाहिए; (क) भारत सरकारको ऐसा कानून बनानेका अधिकार मान्य है जो किसी अन्य ब्रिटिश देशके ऐसे अधिवासी नागरिकोंपर, जो भारतमें आना चाहते हों, उन्हीं शर्तोंपर नियन्त्रण करनेका अधिकार देगा जो कि ऐसे देशमें जानेके इच्छुक भारतीयोंपर लगाई जाती हैं। (ख) यात्रा या अस्थायी निवासका इस प्रकारका अधिकार प्रत्येक मामले में अधिवासके देश द्वारा जारी किये गये पारपत्र या लिखित अनुमतिपत्रपर अंकित होगा और जिस देशमें जाना है उस देश द्वारा नियुक्त और उसकी ओरसे कार्यं करनेवाले अधिकारीको उसे निरीक्षणका अधिकार होगा। यदि ऐसा देश चाहे तो मजदूरीके उद्देश्यसे की जानेवाली इस यात्राको अस्थायी या स्थायी निवासके अधिकारके रूपमें परिवर्तन नहीं किया जायेगा। (३) जो भारतीय पहलेसे ही किसी ब्रिटिश उपनिवेशके स्थायी अधिवासी बन गये हैं, उन्हें इस शर्तपर अपनी पत्नियाँ, नाबालिग बच्चे लानेकी अनुमति दी जानी चाहिए कि (क) ऐसे प्रत्येक भारतीयको एक ही पत्नी तथा उसके बच्चोंको प्रवेश दिया जायेगा, अन्य पत्नियोंको नहीं तथा (ख) इस प्रकार प्रवेश पानेवाले प्रत्येक व्यक्तिको भारत सरकारका यह प्रमाणपत्र पेश करना होगा कि वह ऐसे भारतीयको वैध पत्नी या वैध सन्तान है। सम्मेलन उन दूसरे प्रश्नोंकी भी सिफारिश करता है जो भारतीय प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत स्मृतिपत्रों में दिये गये हैं।"