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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसी कारण मैंने उसे यह सलाह दी है कि वह तुमसे और रुस्तमजीसे परामर्श करे और चन्दा दे चुकनेवाले ग्राहकोंके हितोंका खयाल रखते हुए 'इंडियन ओपिनियन' बन्द कर दे तथा फीनिक्सकी उचित व्यवस्था करे। तुम छापाखानेको जैसा बनाना चाहते हो वैसा बनाओ और तुम लोग जिस ढंगको सर्वाधिक उचित समझो उस ढंगसे जमीनको बाँट दो । उसकी आमदनीका जो उचित समझो उपयोग करो, और वह अधिकांश किताबें लेकर अगर उनका और अच्छा उपयोग वहाँ न हो, यहाँ चला आये । रामदास तो वहाँ मुख्यतः व्यापारके लिए ही गया है। उसका काम जम गया है, ऐसा प्रतीत होता है। उसकी सुविधाओंका वहाँ पूरा खयाल रखा जा रहा है और वह यह सोचकर अपनेको सुखी मान रहा है कि 'मैं अन्तरात्माकी अवहेलना किये बिना कुछ-न-कुछ कमा लेता हूँ'। वह वहाँ जबतक रहना चाहे रहे ।

मेरा खयाल है कि मैंने मणिलालको अपने किसी पत्रमें, एक सुझाव अबतक नहीं दिया है - वह बात शायद उसे पत्र लिख चुकनेके बाद सूझी थी । सुझाव यह है कि अगर तुम लोग अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हो तो 'इंडियन ओपिनियन' में फेरफार करके ऐसा किया जा सकता है। शायद इसमें कोई बुराई नहीं है। तुम गुजराती अंश बन्द कर दो। केवल अंग्रेजी अंश छापो । इस प्रकार तुम उसे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय क्या कर रहे हैं और उनपर क्या-क्या निर्योग्यतायें लदी हुई हैं- इस सबका प्रामाणिक विवरण भारत और इंग्लैंड भेजनेका, एक अच्छा साधन बना सकते हो। मैं चाहता हूँ कि उसे केवल व्यवसायकी तरह चलाने की बातपर गौर करो। अगर मेरा सुझाव ठीक या व्यावहारिक जँचे तो उसकी विस्तृत योजना बना डालो, परन्तु यदि तुम्हें ऐसा लगे कि व्यवसायकी तरह वह लाभप्रद नहीं हो सकता तो फिर उसे बिलकुल भूल जाओ ।

ट्रान्सवालके व्यापार तथा भूमि विधेयकके मामलेमें न्याय पानेका भरसक प्रयत्न कर रहा हूँ परन्तु पूरी जानकारी न होनेके कारण अड़चन होती है। रिचने[१]मुझे पत्र लिखे हैं; नायडूने केवल एक बार लिखा था । अस्वातका एक तार[२]आया था । उसके अनुसार मैंने कार्रवाई तो तुरन्त कर दी थी । परन्तु लगभग १५ रोज हो गये मेरे तारका[३] कोई उत्तर नहीं मिला है। विधेयकके बारेमें ताजे समाचार जानना चाहता हूँ । तुम सारी जानकारी प्राप्त करके मुझे भेज सको तो अच्छा हो; नहीं तो सम्बन्धित सज्जनोंसे कहना कि वे मुझे उसके बारेमें ताजे समाचार लिख भेजें। यहाँ जो कुछ हो रहा है उसे तुम 'यंग इंडिया' से जान सकते हो। यह अखबार लगभग मेरे ही हाथोंमें है। पता नहीं तुम उसे देखते हो या नहीं। उसकी प्रतियाँ फीनिक्स भेजी जाती हैं। देवीको यह अवश्य लिख देना कि मैं उसे पत्र[४] बराबर भेजा

  1. एल० डब्ल्यू० रिच, दक्षिण आफ्रिकामें गांधीजीके कार्यालयमें काम करनेवाले एक मुंशी तथा दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति, लन्दनके मन्त्री ।
  2. देखिए “ पत्र : अखबारों को ", २५-२-१९१९
  3. देखिए "पत्र: सर जहाँगीर पेटिटको ", २-७-१९१९; इसमें भी गांधीजीने लिखा था : " मैं आज उन्हें एक लम्बा तार भेजना चाहता हूँ ।" यह तार उपलब्ध नहीं है ।
  4. यह पत्र उपलब्ध नहीं है ।