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पत्र : एफ० सी० ग्रिफिथको

करता हूँ । दह कैसी है ? क्या वह मैरित्सबर्गमें है ? श्रीमती डोक[१] आजकल कहाँ रहती हैं ? और फिलिप्स[२] ? पार्वतीसे कहना कि उसने मुझे पत्र लिखनेका वचन तो दिया था परन्तु उसने कोई पत्र नहीं लिखा। कुछ महीने पहले मैंने उसे पत्र[३]लिखा था; वह उसे मिला या नहीं सो भी नहीं मालूम। मेरा खयाल है कि मैं जब पिछली बार चम्पारन गया हुआ था तब मैंने उसे लिखा था । मणिलालका तुम्हारे प्रति व्यवहार पहलेसे कुछ अच्छा है या नहीं ? हिल्डा[४]तो अब सयानी हो गई होगी। वह मुझे क्यों नहीं लिखती ? ग्रैनीसे[५]मेरा यथायोग्य कहना । श्रीमती वेस्ट और सेमसे[६] भी मेरा यथायोग्य कहना । कभी-कभी सोचता हूँ कि उनकी बन्दूकबाजी चलती है या नहीं ।

तुम्हारा,
मो० क० गांधी

गांधीजी के हस्ताक्षरयुक्त हस्तलिखित अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू० ४४३१) की फोटो- नकलसे ।
सौजन्य : ए० एच० वेस्ट

४१२. पत्र : एफ० सी० ग्रिफिथको

[ बम्बई]
जुलाई १८, १९१९

प्रिय श्री ग्रिफिथ,

जब मैं पूनामें था तब परमश्रेष्ठने मुझसे कहा था कि वे मुझसे अधिकसे-अधिक शनिवारको, अर्थात् कल अवश्य मिल लेंगे। उन्होंने मुझसे सूचनार्थ आपको बम्बई छोड़नेकी तिथि बता देनेके लिए भी कहा था । आशा थी कि परमश्रेष्ठ मुझे पत्र भेजेंगे। परन्तु आश्चर्य है अभीतक उनका कोई पत्र नहीं आया । इसलिए मैं बम्बईसे बाहर जानेका कार्यक्रम बनानेके बारेमें कुछ असमंजस में पड़ा हुआ हूँ । यदि सम्भव हो तो मैं कल अहमदाबाद जाना चाहता हूँ । कृपा करके परमश्रेष्ठको यह सूचित कर दें और यह भी मालूम कर लें कि निकट भविष्यमें उन्हें मेरी आवश्यकता पड़ेगी या नहीं?

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६७५८) की फोटो नकलसे ।

 
  1. रेवरेंड जोज़ेफ जे० ढोक (१८६१-१९१३); जोहानिसबर्गके वैप्टिस्ट चर्चके बड़े पादरीको पत्नी ।
  2. रेवरेंड चार्ल्स फिलिप्स, कैथलिक पादरी ।
  3. उपलब्ध नहीं है ।
  4. क्रमशः ए० एच० वेस्टकी कन्या और सास ।
  5. गोविन्दस्वामी, इन्टरनेशनल प्रिंटिंग प्रेस, फीनिक्समें मशीन-फोरमैन ।१५-३१