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४१३. पत्र : छगनलाल गांधीको

बम्बई
शुक्रवार [जुलाई १८, १९१९][१]

चि० छगनलाल,

गंगाबहनको पैसे भिजवानेका निर्णय जब मैं वहाँ आऊँगा तब करूँगा। मैं गंगा- बहनको लिख रहा हूँ ।

ऐसा हो सकता है कि मैं सम्भवतः कल भी रवाना न हो सकूँ । गवर्नर महोदयसे मुलाकात शायद रविवारको हो ।

चाहो तो दुर्गाबह्नवाली कोठरी सामलदासको दे दो। लेकिन सामलदासको उसका किराया देना चाहिए, इस बातका ध्यान रखना । मेरी समझमें दुर्गाबहन फिलहाल तो यहीं रहेगी । 'यंग इंडिया' से जमानत लेनेकी मजिस्ट्रेटकी हिम्मत ही न पड़ी। यदि माँगी जाती तो हम जमानत नहीं देते। हम तो यह सोचकर ही बैठे हुए थे कि [ वह ] जमानतकी माँग करेगा; और सोचा था कि महादेव मुक्त हो जायेगा। लेकिन होता तो वही है जो मालिकको मंजूर हो।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ६७८४) की फोटो - नकलसे ।

४१४. भाषण : गांधी-स्मट्स समझौतेपर

बम्बई
जुलाई १८, १९१९

साम्राज्यीय भारतीय नागरिक संघके तत्त्वावधानमें १८ जुलाई, १९१९ को एक्सेल्सियर थियेटर, बम्बई में एक सार्वजनिक सभा दक्षिण आफ्रिकाकी संघ-सरकार द्वारा हालमें पास किये एशियाई भूमि तथा व्यापार संशोधन अधिनियमका विरोध करनेके उद्देश्यसे आयोजित की गई। माननीय सर दिनशा एम० पेटिट, बार-एट-लॉ इस सभाके अध्यक्ष थे।

महात्मा गांधीने सर एन० जी० चन्दावरकर द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रथम प्रस्तावका अनुमोदन करते हुए कहा कि कुछ साल पहले जब बोअर युद्ध छिड़ा था सम्राट्के एक मन्त्री, लॉर्ड लैंसडाउन ने यह घोषणा की थी कि इस युद्धके कारणोंमें ट्रान्सवालमें बसे हुए भारतीयोंके साथ वहाँकी सरकार द्वारा किया गया दुर्व्यवहार भी एक कारण था । लॉर्ड महोदयने यह भी कहा था कि उन्हें ट्रान्सवाल सरकार द्वारा भारतीयोंको दी गई

  1. गांधीजीने अपने “ पत्र : छगनलाल गांधीको ", जुलाई १३, १९१९ में लिखा था कि वे अगले शनिवार अर्थात् १९-७-१९१९ को अहमदाबादके लिए रवाना होंगे । स्पष्टतः यह पत्र शुक्रवार १८ जुलाईको लिखा गया था ।