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४१६. पत्र : छोटालाल तेजपालको

साबरमती
आषाढ़ वदी १० [ जुलाई २२, १९१९][१]

भाईश्री छोटालाल,

आपके उत्साहकी जितनी प्रशंसा करूँ उतनी कम है। आप अपने सुधारोंका[२]संक्षिप्त इतिहास मुझे भेजिए तब में उसे प्रकाशित करने तथा उनपर अपने विचार प्रकट करनेका प्रयत्न करूँगा । आपने कब शुरू किया ? उसका क्या सबूत है ? पहले यदि गाड़ीका उपयोग किया जाता था तो अब [ अर्थीको ] कन्धा क्यों दिया जाता है ? आजतक गाड़ी द्वारा कितने मुर्दे ले जाये गये हैं ? गाड़ीका खर्च क्या आता है ? उसे कौन चलाता है ? उस सबकी व्यवस्था कैसे होती है ? उसकी कोई समिति है या आप अकेले ही भार वहन करते हैं ? आपका काम राजकोटमें ही है अथवा अन्य स्थानोंमें भी ? तर्कमें न जाकर केवल तथ्योंकी जानकारी ही दीजिएगा ।

मोहनदास गांधी

भाई छोटालाल तेजपाल

कलाकार

राजकोट

गुजराती पत्र ( जी० एन० २५९०) की फोटो - नकलसे ।

४१७. लाहौरका फैसला

कोई भी व्यक्ति जो रानीके विरुद्ध युद्ध छेड़ने या ऐसा करनेका प्रयत्न करता है। अथवा उसमें सहायक बनता है उसे मौत या आजीवन निर्वासनकी सजा दी जायेगी और उसकी सब सम्पत्ति जब्त कर ली जायेगी ।

—खण्ड १२१, भारतीय दण्ड संहिता

लाला हरकिशनलाल बार-एट-लॉ; चौधरी रामभजदत्त वकील, श्री दुनीचन्द बार-एट-लॉ और सर्वश्री अल्लादीन और मोटासिंहको भारतीय दण्ड संहिता ( इंडियन पिनल कोड) के खण्ड १२१ और १२१ (क) के अन्तर्गत विशेष न्यायाधिकरणोंमें से

 
  1. इस पत्रपर डाककी मुहर जुलाई २६, १९१९ की है।
  2. श्री छोटालाल तेजपालका आग्रह था कि मुर्दों को भरथीपर ले जानेके बजाय गाड़ी में ले जाया जाये ।