पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/५२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४९२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रकट होता हो कि इन अभियुक्तों में से किसीने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपमें हिंसाको प्रोत्साहन दिया है। जहाँ हिंसा करनेका मंशा न हो वहाँ शान्तिमय संगठनको दण्डनीय षड्यंत्र कैसे कहा जा सकता है, भले ही उस संगठनमें नियन्त्रण में न आ सकनेवाले तत्त्व आकर मिल जायें और शरारत करने लगें। इन भद्दी घटनाओंका घटित होना नेताओंके लिए चेतावनीका काम दे सकता है। फौजी कानूनकी घोषणाको न्यायसंगत ठहरानेके लिए भी इन घटनाओंको सामने रखा जा सकता है, परन्तु उनका उपयोग इस उद्देश्यसे नहीं किया जाना चाहिए कि कानूनके पाबन्द और शान्तिप्रिय नागरिकोंको अपराधी और झूठ बोलनेवाला ठहराया जाये । भारतीय जनताका कर्त्तव्य स्पष्ट है : एक शान्तिमय, सुदृढ़ और शक्तिशाली आन्दोलन, जिसमें हिंसा या खीझ न हो, चलाया जाये ताकि रौलट अधिनियम रद्द हो जाये और सजाएँ बदल दी जायें ।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २३-७-१९१९


४१८. प्रमाणपत्र : ए० वेंकटरमणको

साबरमती
जुलाई २४, १९१९

श्री ए० वेंकटरमण, बार-एट-लॉ, ऑफ किंग्ज़ इन्स, डब्लिन, महायुद्ध छिड़नेके ठीक बाद सन् १९१४ में लन्दन में संगठित किये गये भारतीय आहत सहायक दल (वालंटियर इंडियन एम्बुलेंस कोर) के सदस्य थे । वे उन लोगों में से हैं जिन्होंने इस सेवादलकी सदस्यता शुरू—शुरू में ही स्वीकार की थी; उन्होंने स्वयंसेवकोंकी भरती के काममें बहुत मदद की थी। वे युद्ध—कार्यालयकी स्वीकृतिसे निर्मित कार्यकारिणी समितिके सदस्य थे। उन्होंने नेटले और बार्टन—ऑन—सीके फौजी अस्पतालोंमें नानकमिशंड ऑफिसरकी हैसियतसे काम किया है। उनके अफसरोंको उनके कामसे सन्तोष था । जहाँतक मुझे मालूम है उनका चरित्र निष्कलंक है ।

श्री वेंकटरमण अब मद्रास सरकार में किसी जिम्मेदार पदपर नियुक्ति चाहते हैं । आशा है वे अपने प्रयास में सफल होंगे।

मो० क० गांधी
अध्यक्ष
भारतीय स्वयंसेवक समिति

अंग्रेजी (एस० एन० ७१००) की फोटो नकलसे ।