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पत्र : देवदास गांधीको

क्योंकि इससे दुष्ट लोगोंकी जबान बन्द हो गई है और इससे आपके साथ परिचय करनेका भी अवसर मिल गया है ।

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

२३. पत्र : देवदास गांधीको

[ नडियाद ]
अगस्त १७, १९१८

चि० देवदास,

आज तबीयत बहुत अच्छी मानी जा सकती है। अभी खटियापर तो रहना ही होगा । कष्ट बहुत भोगा है, कसूर सिर्फ मेरा ही था । इसमें जरा भी अतिशयोक्ति नहीं है । सजा अपराधके अनुसार मिली है । तुम मेरी जरा भी चिन्ता न करना । मेरी सेवामें कोई कमी नहीं रहती । एक कामको करनेके लिए दस मनुष्य उत्सुक रहते हैं और सब [मेरे ऊपर] अपना असीम प्रेम उँडेल रहे हैं । इसलिए तुम मुझे सहज ही याद आते हो। लेकिन तुम्हारी अनुपस्थितिके कारण मुझे कोई कमी महसूस नहीं हुई । तुम वहाँके[१]काममें जुटे रहो, इसीमें तुम्हारी पूरी सेवा आ जाती है । और इसके अलावा हमारा नियम ऐसा कठिन है कि कोई भी व्यक्ति बीमारीके कारण भी अपने स्थानसे नहीं हट सकता । हमें इस कठिन नियमका ज्ञानपूर्वक पालन करना है । इतने घोर कष्टमें भी मैंने अपनी आत्माकी शान्ति क्षण-भरके लिए भी खोई हो, मुझे ऐसा नहीं लगता । बा यहाँ पहुँच गई है। उम्मीद तो है कि मैं थोड़े दिनोंमें पहलेसे भी अधिक स्वस्थ हो जाऊँगा और स्वादरहित भोजन करनेके व्रतका अच्छी तरह पालन करने लगूंगा ।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४
  1. मद्रास में