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जगन्नाथका मामला
सफाई निकम्मी है। इस बातके पर्याप्त प्रमाण हैं कि उसने १४ अप्रैलको दुकानें बन्द कराने में सक्रिय भाग लिया। हमें उसके अपराधी होनेमें कोई सन्देह नहीं और हम उसे भारतीय दण्ड संहिताकी धारा १२१ के अन्तर्गत दण्ड देते हैं ।

मेरा कहना है कि ५ तारीखकी सभाके नोटिस छपाना कोई गुनाह नहीं था और न सभा में जाना ही ऐसा काम था जो अपराध- जैसा हो । अदालतने ५ अप्रैलकी सभाके सम्बन्धमें यह कहा है :

यह कहा जाता है कि गुजरांवालाके लोग रौलट कानूनके बारेमें कुछ नहीं जानते थे और न उन्हें उसमें कोई दिलचस्पी ही थी । ४ अप्रैलको अभियुक्तों में से कुछ लोगोंने देशके अन्य भागोंमें जिस तरहका आन्दोलन गांधी निर्देशके वैसा आन्दोलन आरम्भ करनेका निश्चय किया । इसके मुताबिक एक सार्वजनिक सभा ५ अप्रैलको बुलाई गई और उसमें रौलट कानूनकी निन्दा की गई। अनुसार चलाया था,

हमें ऐसे किसी कानूनकी खबर नहीं है जिसके अन्तर्गत इन तथ्योंको अपराध माना गया हो । जजोंने स्वयं भी यह बात कही है :

किन्तु हम इस मामले में इस बातसे संतुष्ट नहीं हैं कि १२ अप्रैलसे पूर्व कोई ऐसा षड्यंत्र मौजूद था जो अपराधके अन्तर्गत आये; इसलिए हम उन अभियुक्तों को बरी करनेके लिए विवश हैं जिनके बारेमें केवल यह कहा गया है कि उन्होंने उस तारीखसे पूर्वकी कार्रवाईमें भाग लिया था ।

इसलिए अदालत द्वारा अभियुक्त के ५ तारीखकी सभा में मौजूद होने या नोटिस छपानेका काम करनेका उल्लेख किये जानेकी बात समझना कठिन है। अदालत फिर कहती है :

१२ तारीखको सायंकाल और १३ तारीखको दिनमें कुछ अभियुक्त भगत से सलाह करके इस बातपर एकमत हुए कि उन्हें अमृतसरकी तरह यहाँ भी पुल जलाने और टेलीग्राफके तार काटनेका काम करना चाहिए।

अब इन तथ्योंसे निस्सन्देह षड्यंत्र सिद्ध होता है, यह स्पष्ट है; किन्तु अदालतने यह बिलकुल नहीं बताया कि कौनसा अभियुक्त उपर्युक्त अनुच्छेद में बताये गये अपराध करनेकी बातसे सहमत हुआ । यहाँ यह बात स्मरणीय है कि ऊपर उद्धृत किये गये वाक्यमें १२तारीखके सायंकालकी जिस सभाका उल्लेख है उसी दिन उससे पूर्व जिला कांग्रेस कमेटीकी एक बैठक की गई थी। मेरा निवेदन है कि अदालतके लिए यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक था कि जिस बैठकमें पुल जलाने और तार काटनेका कथित फैसला किया गया उसमें अभियुक्त मौजूद था या नहीं । किन्तु अदालतके निर्णयमें १२ और १३ तारीखकी सभाओं में अभियुक्त के मौजूद होनेके स्पष्ट उल्लेखके अतिरिक्त अन्य कोई निष्कर्ष नहीं मिलता। मैं तो कहूँगा कि यदि अभियुक्त १४ तारीखको गुजरांवालामें था और उसने दुकानोंको बन्द कराने में सक्रिय भाग लिया था तो भी जबतक यह सिद्ध न किया जा सके