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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि वह उल्लिखित अपराधपूर्ण निर्णयमें शामिल था तबतक उक्त कार्य करना अपराध नहीं है। इसलिए जहाँ फैसलेमें अभियुक्तके अपराधका कोई प्रमाण नहीं मिलता वहाँ उसने गुजरांवालासे अपनी अनुपस्थितिके जो तथ्य पेश किये हैं उनमें कई तथ्य अदालतके लिए अत्यन्त क्षतिजनक हैं और निश्चितरूपसे अभियुक्तके पक्षमें हैं। उसने कहा है कि वह गुजरांवालासे १२ अप्रैलको सायंकाल ५ बजेकी गाड़ीसे काठियावाड़ रवाना हो गया था, जहाँ उसका एक मुकदमा चल रहा था। अब मैं मानता हूँ कि अनुपस्थितिका तर्क देना जितना आसान है उतना ही कठिन उसे सिद्ध करना है। किन्तु जो भी उसकी दरख्वास्त पढ़ेगा वह आसानीसे इस निष्कर्ष पर पहुँच सकता है कि उसकी अनुपस्थितिका तकं पूर्णतः सिद्ध हो गया था । श्री जगन्नाथने अपने इस कथन के समर्थन में कि वह गुजरांवालासे १२ तारीखको रवाना हो गया था, कई स्थानीय प्रतिष्ठित व्यक्तियोंकी गवाही पेश की। उसने यह दरख्वास्त दी कि वह १६ अप्रैलको धोराजीमें था, इस तथ्यको सिद्ध करनेके लिए गवाहोंको काठियावाड़से बुलाने के निर्देश जारी किये जायें। अदालतने यह दरख्वास्त नामंजूर कर दी ; किन्तु जाँचकी मंजूरी दे दी, जिसके लिए आयोग (कमिशन) का खर्च २५० रुपये इस गरीबको देना पड़ा। और फिर भी आश्चर्यकी बात यह है कि अदालतने आयोगके लौटने का इन्तजार किये बिना ही अभियुक्तके विरुद्ध फैसला दे दिया। उसने दरख्वास्त दी कि जाँचका उत्तर मिलने तक अदालतमें बहस स्थगित कर दी जाये। यह दरख्वास्त भी नामंजूर कर दी गई। एक दूसरी दरख्वास्तमें उसने अनुरोध किया कि अदालत जाँचके परिणामका पता तारसे लगा ले, किन्तु उस दरखास्तका भी कोई लाभ नहीं हुआ। अभियुक्तने दरख्वास्तमें ठीक ही कहा है कि एकमात्र इसी तथ्यके आधारपर उसे दी गई सजा गैरकानूनी सिद्ध होती है, और वह रद कर दी जानी चाहिए। दरख्वास्तमें कहा गया है कि वह १६ अप्रैलको धोराजी पहुँच गया था, यह बात धोराजीके फौजदारके रजिस्टरमें दर्ज है। अभियुक्तने १० पृथक् गवाहोंकी गवाहीसे यह भी सिद्ध किया है कि वह उस तारीखको धोराजीमें मौजूद था। उसने रेलवे टाइम टेबलसे हवाला देकर यह भी बताया है कि धोराजीसे तेजसे—तेज गाड़ीसे दिल्ली पहुँचनेमें ४४ घंटे लगते हैं और यह असंदिग्ध रूपसे सिद्ध किया है कि १३ तारीखको सायंकाल ६ बजेके बाद उसकी गुजरांवालामें उपस्थिति किसी तरह सम्भव नहीं हो सकती; यद्यपि वस्तुतः उसने दूसरी निश्चयात्मक गवाहीसे यह भी प्रमाणित किया है कि वह गुजरांवालासे १२ तारीखको रवाना हो चुका था। उसने जैतपुर (काठियावाड़) की उस अदालतकी कार्रवाई पेश की है जिसमें उसका मुकदमा था। इसलिए अभियुक्तको एक क्षण भी जेलमें रखनेका कोई कारण नहीं है। अभियुक्तने स्वयं सिद्ध किया है कि वह :

गुजरांवालाका एक छोटा दूकानदार है। वह आयकर नहीं देता, वह उर्दू और अंग्रेजी नहीं जानता और गुजरांवाला जैसे ३०,००० की आबादी वाले बड़े शहरमें उसका कोई प्रभाव नहीं है। वह बहुत छोटी हैसियतका आदमी है और उसका दर्जा बहुत छोटा है। उसने कोई शिक्षा नहीं पाई और राजनीतिमें कभी हिस्सा नहीं लिया। वह जिला कांग्रेस कमेटीका सदस्य भी नहीं है और न वह किसी अन्य राजनीतिक संस्थाका सदस्य ही है ।