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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बारेमें ही विचार कर रहे हैं, इसलिए संघ सरकारके साथ उनकी मुलाकातका इतना ही भाग यहाँ देता हूँ। संसदको बैठक हुई; उस समय गोखले दक्षिण आफ्रिकामें नहीं थे। दक्षिण आफ्रिकामें बसनेवाले भारतीयोंको पता चला कि ३ पौंडका कर रद नहीं होगा। जनरल स्मट्सने नेटालके सदस्योंको थोड़ा—बहुत समझानेका प्रयत्न किया था। लेकिन मेरी राय में वह काफी नहीं था। भारतीयोंने संघ सरकारको लिखा कि ३ पौंडी कर किसी भी तरह रद करनेका वचन संघ सरकार गोखलेको दे चुकी है। इसलिए अगर यह कर रद नहीं किया गया तो १९०६ से जो सत्याग्रह चल रहा है उसके अन्दर इस करकी बात भी शामिल कर दी जायेगी। दूसरी तरफ गोखलेको तारसे इसकी सूचना दी। गोखलेने इस कदमको पसन्द किया। संघ सरकारने भारतीय समाजकी चेतावनीपर ध्यान नहीं दिया। इसका परिणाम सब कोई जानते हैं। गिरमिटमें रह चुके ४०,००० हिन्दुस्तानी सत्याग्रहकी लड़ाई में शरीक हुए। उन्होंने हड़ताल की, असह्य दुःख सहन किये, बहुतेरे लोग मारे भी गये। परन्तु आखिरमें गोखलेको दिया हुआ वचन पाला गया और ३ पौंडी कर रद हुआ ।[१]

[ गुजरातीसे ]
धर्मात्मा गोखले


४२९. पत्र : एन० पी० कॉवीको

लैबर्नम रोड
बम्बई
जून २२, १९१९

प्रिय श्री कॉवी

स्व० सार्जेन्ट फेजरकी हत्याके सम्बन्धमें चाँद नामक १५—१६ वर्षके जिस लड़केको फाँसी की सजा दी गई है, अभी—,अभी मैंने उसकी ओरसे महामहिमकी सेवामें प्रेषित की गई याचिका देखी। मेरी समझमें इस बात में कोई सन्देह नहीं है कि उक्त निरपराध पुलिस कर्मचारीकी हत्या करनेवालोंमें यह लड़का भी एक था। इस सम्बन्धमें चाँदके वकीलके कथनसे मैं सहमत नहीं हूँ; बल्कि सरकारी वकीलके उस कथनको तसलीम करता हूँ जो उन्होंने अदालत के सामने पेश किया था और जो 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के इसी महीनेकी १२ तारीखके 'डाक एडीशन में प्रकाशित हुआ है। मुख्य अपराधी [ चाँद ] के अपराधको हलका बनानेवाली अगर कोई बात है, तो वह है उसकी उम्र । फिर यह भी सच है कि जानबूझकर हत्या करनेका इरादा न चाँदका था और न अन्य किसी व्यक्तिका । भावुकतामें पागल होकर चाँदने यह काम किया है । सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मैं यह निवेदन करनेका साहस करता हूँ कि महाविभव अपनी दयाके अधिकारका प्रयोग करके फाँसीके सिवाय जो सजा उचित समझें, सो दें, इसी में न्यायकी रक्षा है। मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि चाँदकी माँ

  1. सन् १९१४ के भारतीय राहत-अधिनियम द्वारा ; देखिये खण्ड १२ ।