पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/५४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१५
पत्र : आर० बी० यूबैंकको

विधवा है । मैं आशा करता हूँ कि दयाकी इस याचिकापर महाविभव कृपादृष्टि रखकर विचार करेंगे ।

भवदीय,

अंग्रेजी (एस० एन० ६६७०) की फोटो नकलसे ।

४३०. पत्र : एन० पी० कॉवीको

लैबर्नम रोड
गामदेवी
बम्बई
जून २९, १९१९

प्रिय श्री कॉवी,

अहमदाबादसे रवाना होते समय चाँदके विषय में लिखा हुआ आपका पत्र मिला । अभी—अभी समाचार मिला है कि चाँदकी फाँसीकी सजा घटाकर आजन्म कैदकी सजा कर दी गई है। केवल उस लड़केका गरीब कुटुम्ब ही नहीं, वे तमाम हजारों स्त्रियाँ और पुरुष जो अदालती कार्रवाईको बड़े ध्यान से पढ़ते—सुनते रहे हैं और जिनमें मैं अपनेको भी गिनता हूँ, इस महती कृपासे परिपूर्ण कार्यकी हृदयसे कद्र करेंगे । कृपया यह पत्र महामहिम के सामने भी रख दिया जाये ।

हृदय से आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६७०४) की फोटो नकलसे ।

४३१. पत्र : आर० बी० यूबैकको

[ जुलाई १२, १९१९ के बाद ]

प्रिय श्री यू बैंक,

आपके १२ तारीख के पत्र[१]और स्वदेशी सभाकी समिति से मिलनेके प्रस्ताव के लिए धन्यवाद । इस विषय में महामहिमसे मेरी बातचीत हुई थी और उन्होंने कहा था कि वे आपसे चर्चा करेंगे। में गवर्नरसे निकट भविष्यमें फिर मिलनेवाला हूँ और तब इस विषयपर उनके साथ अधिक विस्तारसे बातचीत करूँगा । आशा है कि उसके बाद समितिसे मिलनेकी कोई ऐसी तारीख में आपको सूचित कर सकूँगा, जो आपको सुविधाजनक हो ।

स्वदेशी व्रत न लेनेके आपने जो कारण बताये हैं, उनकी में कद्र करता हूँ। मैं तो इसी बात के लिए उत्सुक हूँ कि हमारे किसानों द्वारा किये गये उत्पादन कार्यमें साधारणतया आपका सक्रिय समर्थन प्राप्त होता रहे। मुझे ऐसा लगता है कि जनताके अर्थाभाव

  1. ३ जुलाई, १९१९ को लिखे गये गांधीजीके पत्रके उत्तर में ।