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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और वस्त्राभावकी हमारी वर्तमान तथा भविष्यकी कठिनाइयोंका हल भी इसी तरीकेसे आसानी के साथ हो सकता है। मगर हमें किस विषयपर चर्चा करनी है, उसका अन्दाज में इस पत्र में नहीं लगाना चाहता। इस दिशामें आपने सहयोगका जो वादा किया है, उससे मुझे बहुत खुशी हुई है और मैं कृतज्ञ हूँ ।

आपने मेरे स्वास्थ्यके विषय में पूछा, इसके लिए भी आभारी हूँ। कुछ महीनोंसे मुझे आरामकी बड़ी जरूरत है और इन दिनों आराम लेनेकी परिस्थिति नहीं है; उसके अभावमें जितना अच्छा रह सकता हूँ, उतना अच्छा हूँ ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६७४४ ) की फोटो - नकलसे ।

४३२. पत्र : एस० आर० हिगनेलको

लैबर्नम रोड
गामदेवी
बम्बई
जुलाई २१, १९१९

प्रिय श्री हिगनेल,

मैं इस पत्र के साथ लाला राधाकृष्णकी[१]रिहाईसे सम्बन्धित याचिका जिसपर सर नारायण चन्दावरकर, सर दिनशा वाच्छा और अन्य सज्जनोंके हस्ताक्षर हैं, संलग्न कर रहा हूँ। मेरी समझमें यह मामला बाबू कालीनाथ रायके मामलेसे भी अधिक दयनीय है । कदाचित मामला अभीतक पंजाब सरकारके विचाराधीन है। मैं यह आशा करनेकी धृष्टता कर रहा हूँ कि इस मामलेमें जल्दी ही न्याय किया जायेगा ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६७६४ ) की फोटो- नकलसे ।

४३३. पत्र : एस० आर० हिगनेलको

लैबर्नम रोड
गामदेवी
बम्बई
जुलाई २७, १९१९

प्रिय श्री हिगनेल,

जैसा कि आप जानते हैं 'यंग इंडिया' के प्रबन्ध-मण्डलके सौजन्यसे इस समाचारपत्रकी नीति और उसके संचालनका कार्यभार मुझपर है । अन्य समाचारपत्रोंकी

  1. देखिए “लाला राधाकृष्णका मामला ", १२-७-१९१९ ।