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पत्र : एस० आर० हिगनेलको

'तरह यंग इंडिया' को भी इसी २३ तारीखको एक गोपनीय निर्देश मिला है। निर्देश[१] इस प्रकार है :

'यंग इंडिया' द्वारा सरकारकी इच्छाका पूर्ण पालन हो इसका मैं पूरा ध्यान रखूँगा ।

निर्देशको पढ़कर कुछ परेशानी भी होती है जिसे मैं परमश्रेष्ठके सामने रख देना चाहूँगा। टर्कीके समाचारोंको लेकर लोग इतने विक्षुब्ध क्यों हो उठते हैं ? यदि टर्कीसे की गई सन्धिकी शर्तें सम्माननीय हैं तो उनके कारण भारतमें थोड़ी—सी भी उत्तेजना क्यों फैलनी चाहिए । कुछ प्रभावशाली मुसलमान जो इन दिनों लन्दनमें रहते हैं उन्होंने प्रधानमंत्रीको जो पत्र लिखा है, उसे पढ़कर मैं और भी विक्षुब्ध हुआ । मैं देखता हूँ कि पत्रपर हस्ताक्षर करनेवाले लोगोंमें बम्बईके प्रधान आगाखान, भूतपूर्वं न्यायमूर्ति अमीर अली, सर अब्बास अली बेग तथा अन्य लोग हैं।"टर्कीको विभाजित करनेकी धमकीके समाचार और उससे मुसलमानोंमें उत्पन्न गहरी चिन्ता और बेचैनी" से सम्बन्धित इस पत्रको महामहिम अबतक देख चुके होंगे, इसमें मुझे सन्देह नहीं है । हस्ताक्षरकर्त्ताओंने यह भी कहा है कि “यदि शान्तिसभाके इस मंशाके मुताबिक अमल किया गया तो स्थिति और भी बिगड़ जायेगी ।"

मैंने अपने विक्षुब्ध होनेकी बात लिखी क्योंकि मुझे रोज इस आशयके पत्र मिलते हैं और मुसलमान मित्र मुझसे आकर कहते हैं कि हम बेचे जानेवाले हैं। मैंने उन्हें आश्वस्त किया है कि महामहिम सम्राट्के मन्त्रियोंके सामने सही तसवीर रखनेकी पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं और आप लोगोंको पत्रपर अविश्वास करनेका कोई कारण नहीं है । उन्होंने मेरी यह बात सुन तो ली लेकिन अविश्वासपूर्वक । मुझे लगता है कि यह स्थिति बहुत गम्भीर है और महामहिमका ध्यान मुझे इस ओर आकर्षित करना चाहिए। क्या आश्वस्त करनेवाली कोई निश्चित घोषणा नहीं की जा सकती ? मुसलमानोंको जिस बातकी जबरदस्त आशंका है, यदि वही बात सामने आई तो फिर भारतमें शान्ति केवल शस्त्रबलसे ही कायम रखी जा सकेगी; वह वास्तविक शान्ति नहीं होगी। मुझे निश्चित रूपसे मालूम है कि टर्कीके विभाजन या उनके पवित्र स्थानोंपर कब्जा करनेसे मुसलमानोंमें जो क्षोभ उत्पन्न होगा उसके बदले में उदारतम सुधार देनेपर भी वह शमित नहीं किया जा सकेगा। मैं जानता हूँ कि ये सब बातें निस्सन्देह महामहिमकी निगाह में हैं; परन्तु साम्राज्यका शुभेच्छु होने के नातेमैं अपनेको ऐसा ही मानता हूँ —यदि मैं, जो गम्भीर बातें मेरी निगाहमें आई हैं, उन्हें महामहिमके ध्यानमें न लाऊँ तो मैं अपने कर्त्तव्य से च्युत हो जाऊँगा । क्या में आशा करूँ कि यथासम्भव किसी-न-किसी तरह टर्कीके मामलोंपर एक वक्तव्य अवश्य दिया जायेगा ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६७७७) की फोटो नकल से ।

 
  1. पत्र निर्देश उद्धृत नहीं किया गया ।