पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६३
पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

करने योग्य मान सकते हैं । यदि तुम्हारा मन थोड़े समयके लिए भी चिन्तामुक्त हो सकता हो, तो इन सब बातोंपर विचार करना । सबकी तबीयत अच्छी है। बीमार सब अच्छे होते जा रहे हैं । मेरा हाल भी अच्छा है । बा को तुम सारे पत्र पढ़वाते होगे, यह मानकर मैं उसे अलग पत्र नहीं लिखता ।

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४

६९. पत्र : रवीन्द्रनाथ ठाकुरको

साबरमती आश्रम
नवम्बर ५, [१९१८][१]

प्रिय गुरुदेव,

चार्ली कल आश्रमसे चले गये - यहाँ हमें सब कुछ फीका लग रहा है । मुझे उनका मुस्कराता हुआ चेहरा बहुत याद आता है । आप इसीसे समझ सकते हैं कि जब मैं कहता हूँ, उन्हें चन्द दिन आश्रममें बितानेकी अनुमति देनेके लिए आपका कितना अधिक कृतज्ञ हूँ, तो उसका मतलब क्या होता है । आशा है, शान्तिनिकेतनमें स्कूलके काम-काजके कारण आपपर जो भारी दबाव रहता है, उसके बीच भी आपका स्वास्थ्य ठीक होगा ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी पत्रकी माइक्रोफिल्म प्रतिसे ।
सौजन्य : नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया

७०. पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीकोजेड

नवम्बर ५, १९१८

प्रिय श्री शास्त्रियर,

आपके पत्रके लिए आभारी हूँ। मैं उसकी भावनाको समझता हूँ और उसकी पूरी कद्र करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अपने स्वास्थ्यकी में यथासम्भव अधिकसे-अधिक चिन्ता कर रहा हूँ। जो आदमी कभी बिस्तरपर न पड़ा हो, उसे तीन महीने तक ऐसा अनुभव होना कोई हँसी-खेल नहीं । मेरी बीमारी यदि और भी लम्बी चली, तो उसका कारण होगा मेरा अपना अज्ञान या मूर्खता; या दोनों ही ।


  1. सन् १९१८ से लेकर १९२१ तककी अवधिमें गांधीजी ५ नवम्बर को सिर्फ १९१८ में ही आश्रममें रहे थे ।

Gandhi Heritage Porta