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५२. दूसरे पक्षकी भी बात सुनिए

इधर पंजाबकी अनेक घटनाओंसे जनताके मनको बहुत आघात पहुँचा था। मैंने आशा की थी कि अप्रैलमें जो घटनाएँ हुई हैं, उनके कारण हमें अब कहीं औरसे कोई आघात नहीं सहना पड़ेगा। किन्तु हम नडियाद से प्राप्त जिन कागजात के विवरणोंको अन्यत्र छाप रहे हैं, उन्होंने मेरी सारी आशापर पानी फेर दिया है। पिछले २१ अप्रैलको खेड़ाके कलक्टरने नडियाद नगरपालिकाको इस तरह लिखा था।

नगरकी जनताका प्रतिनिधित्व करनेवाली संस्था होनेके नाते नडियादके नगर-निगमको में यह पत्र लिख रहा हूँ। प्रथम तो मैं इस बात के लिए निगमके द्वारा जनताके प्रति अपनी सराहना की भावना व्यक्त करता हूँ कि इस तनाव और उत्तेजनाके दिनोंमें, जो सौभाग्यवश अब समाप्त हो चुके हैं, उसने आम तौरपर कानून और शान्ति सुव्यवस्थाके प्रति आस्था दिखाई। वे नेतागण धन्यवादके विशेष पात्र हैं, जो इस दौरान लोगोंको संयमित रखनेकी दिशामें अपने प्रभावका उपयोग करते रहे।

लेकिन पाठकोंको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन्हीं लोगोंपर अब विशेष पुलिस तैनात की गई है और इसका कारण वे ही घटनाएँ हैं, जिनसे विचलित न होने पर उन्हें बधाइयाँ दी गई थीं। इस पुलिस व्यवस्थाका खर्च नडियादके पाटीदारों और बनियों तथा बारेजडीके भूस्वामियोंसे वसूल किया जानेवाला है। जहाँतक मुझे मालूम है, इस अशान्ति-कालमें जो कलक्टर नडियादमें नियुक्त थे, वे नेताओंके बहुत निकट सम्पर्क में थे। नेतागण कलक्टरसे पूरा सहयोग कर रहे थे और नडियादमें तनिक भी उपद्रव न होने देने में उनका हाथ कलक्टरसे किसी तरह कम न था। रेलकी पटरियाँ उखाड़नेकी बातपर जितना दुःख मुझे हैं, उससे अधिक किसीको नहीं हो सकता। नडियादके लोगोंकी एक बृहत् सभामें मैंने इस भीरुतापूर्ण कार्य और जिन लोगोंने यह सब करके अपने-आपको छिपानेकी कोशिश की थी, उनकी कायरताकी कड़ेसे कड़े शब्दों में आलोचना की। इस मामलेमें स्वयं अपराधियोंके आचरणके कारण, कोई प्रमाण नहीं मिल पाने की वजहसे, न्यायकी जो हत्या हुई है, उसके बारेमें भी मैंने लोगोंसे खुलकर चर्चा की है। इसमें सन्देहकी कोई गुंजाइश नहीं कि इन अपराधियोंने मौन रहनेकी एक साजिश-सी कर रखी है। लेकिन अपराधकी भर्त्सना करना एक बात है और जिन लोगोंके उस अपराध में शरीक होनेकी बात कतई सिद्ध नहीं की जा सकती, उन्हें दण्डित करना बिलकुल दूसरी बात है। मैं जानता हूँ कि इन पाटीदारों और बनियोंमें से कुछने वास्तविक अपराधियोंको ढूंढ़ निकालने और उनसे अपना अपराध स्वीकार करानेकी दिशामें अपनी पूरी शक्ति लगा दी है; और यह बात कलक्टरको भी विदित है। ऐसी हालतमें, उनपर इस सहायताके बदले जुर्माना किसलिए ठोका जा रहा है? नडियादकी ३१,४८३ की आबादी में से ६,०९३ लोग पाटीदार हैं और ३,६५२ बनिये। क्या सिर्फ